Jallianwala Bagh Hatyakand in hindi | jallianwala bagh massacre

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Jallianwala Bagh Hatyakand

जलियांवाला बाग हत्याकांड (Jallianwala Bagh Massacre) की घटना इतिहास की सबसे दुखद घटनाओं में से एक है। जलियांवाला बाग हत्याकांड की घटना 13 अप्रैल 1919 को हुआ था जलियांवाला बाग हत्याकांड की घटना को अमृतसर कांड के नाम से भी जाना जाता है जिसने 400 से अधिक भारतीयों की मौत हो गई थी वही लगभग 2000 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे। आइए इस नरसंहार के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातें जानते हैं – Jallianwala Bagh Hatyakand in Hindi

जलियांवाला बाग हत्याकांड – Jallianwala Bagh Hatyakand in Hindi

जलियांवाला बाग हत्‍या कांड कहां घटित हुआ:पंजाब के अमृतसर के जलियांवाला बाग में।
क्यों हुआ जलियांवाला बाग हत्याकांड:रॉलेट एक्ट (काले कानून) के विरोध में।
कब हुआ जलियांवाला बाग हत्याकांड:13 अप्रैल 1919।
कितने लोगों की मौत हुई:करीब 379 से 1100 लोग।
किसने चलवाईं गोलियां:जनरल डायर

जलियांवाला बाग हत्याकांड – Jallianwala Bagh Hatyakand important points

  • अमृतसर के विश्व प्रसिद्ध गोल्डन टेंपल के पास स्थित जलियांवाला बाग में 13 अप्रैल,1919 के दिन एक भयानक नरसंहार हुआ था,
  • रौलेट एक्ट इम्पीरियल लैजिस्लेटिव काउंसिल ने दिल्ली में पारित किया था। इस बिल का नाम रौलेट कमीशन के कारण पड़ा। रौलेट कमीशन ने ही इम्पीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल को इस एक्ट की अनुशंसा भेजी थी। रॉलेट एक्ट के प्रावधानों के तहत देशद्रोह के अभियुक्त को बिना मुकदमें जेल में डाला जा सकता था। इसी रोलैट एक्‍ट के विरोध में प्रदर्शन किये गयेे।
  • जब लोग रौलेट एक्ट के विरुद्ध प्रदर्शन कर रहे थे, तो 9 अप्रैल, 1919 को दो राष्ट्रवादी नेताओं सैफुद्दीन किचलु और डॉ. सत्यपाल को ब्रिटिश सरकार द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया था। परिणाम स्वरूप भारतीयों का एक बड़ा वर्ग उद्वेलित हो उठा था। फिर अगले ही दिन 10 अप्रैल, 1919 को लोग सत्याग्रहियों पर गोली चलाने तथा राष्ट्रवादी नेताओं को जबरन पंजाब से बाहर भेजने का विरोध कर रहे थे। अंततः यह विरोध हिंसक हो गया । और इस हिंसा के दौरान कुछ अंग्रेज भी मारे गए थे।
  • 13 अप्रैल को वैसाखी के दिन जनरल ओ डायर की घोषणा से अनजान लोगों का एक समूह वैसाखी मनाने के लिए अमृतसर के जलियांवाला बाग में एकत्रित हुआ था। इसी स्थल पर कुछ स्थानीय नेताओं ने भी विरोध सभा का आयोजन किया था। तभी उस दौरान ब्रिटिश सेना का क्रूर अधिकारी रेजिनाल्ड डायर अपने कई सैनिकों को लेकर वहां पहुंच गया एवं बिना किसी चेतवानी दिए बाग को चारों तरफ से घेर लिया एवं अपने सैनिकों से बाग में मौजूद मासूम और बेकसूर लोगों पर गोली चलाने के आदेश दे दिए। करीब 10 से 15 मिनट तक बिना रुके ब्रिटिश सैनिकों ने करीब 1650 – 1700 राउंड फायरिंग की। वहीं इस निर्मम हत्याकांड में कई बेकसूर लोगों की जान चली गई थी।
  • जलियांवाला बाग हत्याकांड के विरोध में रवीन्द्रनाथ टैगोर ने अपनी ‘नाइटहुड’ की उपाधि का त्याग दी थी। इसके अलावा, वायसराय की कार्यकारिणी के भारतीय सदस्य शंकरराम नागर ने कार्यकारिणी से इस्तीफा दे दिया था।
  • इस कुख्यात हत्याकांड की घटना से पहले तक तो सभी स्थानों पर सत्याग्रह शांतिपूर्ण तरीके से संचालित किया जा रहा था, लेकिन इस हत्याकांड के बाद देश के अनेक स्थानों पर सत्याग्रहियों ने अहिंसा का परित्याग कर दिया और हिंसा का मार्ग अपना लिया।
  • जलियांवाला बाग हत्याकांड विभक्त घटना की जांच करने के लिए तत्कालीन भारत सचिव एडविन मांटेग्यू ने विलियम हंटर की अध्यक्षता में एक जांच आयोग का गठन किया था। इसलिए आयोग को प्रचलित रूप में ‘हंटर कमीशन’ के नाम से जाना जाता है।
  • 14 अक्टूबर, 1919 को ब्रिटिश सरकार द्वारा गठित किए गए इस आयोग का आधिकारिक नाम ‘डिस्ऑर्डर इंक्वायरी कमेटी’ था। इस आयोग का मूल उद्देश्य बॉम्बे, दिल्ली एवं पंजाब में घटित हुई हिंसक घटनाओं के कारणों की पड़ताल करना था तथा उनसे निपटने के उपाय बताना था।
  • जलियांवाला बाग नरसंहार में ताबड़तोड़ की गई गोलीबारी में इतनी भयंकर भगदड़ मची कि निहत्थे लोग अपनी जान बचाने के लिए बाग में ही स्थित एक कुएं में कूदते गए। काफी लोगों की तो इस कुए में कूदने से ही मृत्यु हुई। दरअसल जलियांवाला बाग से बाहर जाने के लिए एक संकरा मार्ग था और चारों ओर मकान थे।
  • जलियांवाला बाग हत्याकांड के बाद हो रहे उग्र प्रदर्शनों से विवश होकर ब्रिटिश सरकार ने जांच के लिए 1 अक्टूबर 1919 को लॉर्ड विलियम हंटर की अध्यक्षता मे एक कमेटी का गठन किया। जिसे हंटर कमेटी कहा गया। इस हंटर कमेटी में लार्ड हंटर के अलावा जस्टिस जीसी रैंकिन, डब्ल्यूएफ राइस, मेजर जनरल सर जॉर्ज बैरो और सर टॉम्स स्मिथ सदस्य थे।
  • मार्च 1920 में हंटर कमेटी ने जलियांवाला बाग हत्याकांड पर अपनी रिपोर्ट पेश की। इस रिपोर्ट में हत्याकांड को हल्का दिखाने की पूरी कोशिश की गई। पूरी रिपोर्ट एक प्रकार की लीपापोती का प्रयास था। कमेटी की रिपोर्ट में पंजाब के गवर्नर माइकल ओ’डायर को निर्दोष बताया गया मगर 13 मार्च 1940 को लंदन में महान स्वतंत्रता सेनानी उधम सिंह ने जनरल डायर को मारकर इस हत्याकांड का बदला लिया
  • जलियांवाला बाग अमृतसर में स्वर्ण मंदिर के पास केवल 1.3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
  • जलियांवाला बाग हत्याकांड भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण घटना थी। इस घटना ने भारतीयों को अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने के लिए प्रेरित किया और भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन को गति दी।
  • जलियांवाला बाग में एक स्मारक बनाया गया है, जो इस घटना की याद में बनाया गया है। यह स्मारक उन लोगों की याद में बनाया गया है जो इस हत्याकांड में मारे गए थे।
  • जलियांवाला बाग हत्याकांड ने पूरे भारत में भारी आक्रोश पैदा किया। इस घटना ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन को गति दी और लोगों को अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने के लिए प्रेरित किया।
  • गोलियों से बचने के लिए लोग एकमात्र कुएं में कूद पड़े थे, कुए से 120 लाशें निकाली गई थी। वह कुआँ भी मौजूद हैं जिसमें लोग गोलीबारी से बचने के लिए कूद गए थे।
  • जलियांवाला बाग हत्याकांड में हुई मौतों की संख्या पर अलग-अलग आंकड़े मौजूद हैं। अमृतसर के डिप्टी कमिश्नर ऑफिस में 484 शहीदों की लिस्ट है, तो जलियांवाला बाग में 388 शहीदों की लिस्ट है। जबकि ब्रिटिश सरकार के मुताबिक 379 लोगों ने इस घटना में अपनी जान गवांई थी, जिसमें करीब 200 लोग घायल होने की बात कही थी। हालांकि, कुछ भारतीयों द्वारा करवाई गई जांच जो डाटा सामने आता है उसमें जलियांवाला बाग नरसंहार में मरने वाले लोगों की संख्या 1 हजार से अधिक है, जबकि घायलों की संख्या 2 हजार से भी ज्यादा है।
  • जलियांवाला बाग हत्याकांड के बाद ही देश को आजाद करवाने की लड़ाई में अपने प्राणों की आहुति देने वाले भारत के सबसे युवा क्रांतिकारी भगत सिंह ने अपने स्कूल की पढ़ाई छोड़कर खुद को पूरी तरह स्वतंत्रता आंदोलन में झोंक दिया था। वहीं इस हत्याकांड का उनके जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ा था।
  • जलियांवाला बाग हत्याकांड की वजह से ही पूरा भारत देश अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलित हो उठा, जिसका चलते स्वतंत्रता आंदोलन मे कई लोगों ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया और फिर बाद में अंग्रेजों की गुलामी से आजादी प्राप्त की। इस हत्याकांड के बाद महात्मा गाँधी के नेतृत्व में पूरे देश में असहयोग आंदोलन चलाया गया।
  • आपको बता दें यहां पर स्मारक का निर्माण भारत की आजादी के बाद किया गया था। इसके स्मारक का उद्घाटन आजाद भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने साल 1961 में किया था। इस शहीद स्मृति स्मारक की डिजाइन अमेरिका के आर्किटेक्ट बेंजामिन पोल्क ने तैयार की थी।  इस स्मारक को बनाने में करीब 9 लाख रुपए का खर्चा आया था।
  • स्मारक के चारों खंभों पर उर्दू, पंजाबी, अंग्रेजी, एवं हिन्दी भाषा में जलियावाला हत्याकांड की तिथि (Jallianwala Bagh Hatyakand Date) ”13 अप्रैल, 1919 शहीदों की याद में” लिखा हुआ है। इसके साथ ही अमृतसर के इस ऐतिहासिक जलियांवाला बाग के मुख्य प्रवेश द्धार के जनरल डॉयर के ब्रिटिश सैनिकों की अवस्था को भी चिन्हित किया गया है।

जलियांवाला बाग हत्याकांड से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें – Jallianwala Bagh Massacre Facts

  • जलियांवाला बाग वर्तमान में एक पर्यटक स्थल बन गया है। वहीं आज यहां हजारों की संख्या में लोग इस स्थान पर घूमने आते हैं।
  • इस स्थान पर आज भी गोलियां के निशान है, जो कि 13 अप्रैल, 1919 में हुए इतिहास के इस सबसे निर्मम और दर्दनाक नरसंहार की याद दिलाते हैं।
  • इसके अलावा इस स्थल पर वह कुंआ भी स्थित हैं जिसमें इस हत्याकांड के दौरान ब्रिटिश सैनिकों की गोलियों से बचने के लिए तमाम महिलाओं और बच्चें कूद गए थे, यह ”शहीदी कुआं”(Martyrs Well) के नाम से प्रसिद्ध है।
  • जलियांवाला बाग में हर साल 13 अप्रैल को उन शहीदों की को भावपूर्ण श्रद्धांजली अर्पित की जाती हैं, जिन्होंने उस वक्त इस हत्याकांड में अपनी जान गंवाई थी।
  • जलियांवाला बाग हत्याकांड पर साल 1977 में एक हिन्दी फिल्म (Jallianwala Bagh Movie) भी बनाई गई थी। इस फिल्म में शबाना आजमी और विनोद खन्ना लीड रोल में थे।
  • इसके अलावा देश की आजादी पर आधारित प्रसिद्ध फिल्म (रंग दे बसंती, लेजेंड ऑफ भगत सिंह, फिल्लौरी फिल्म) जलियांवाला बाग हत्याकांड को फिल्माया गया है।
  • इसके अलावा साल 1981 में सलमान रुश्दी के द्धारा लिखित उपन्यास मिडनाइट्स चिल्ड्रन में भी इस भयानक नरसंहार को दर्शाया गया है।

जलियांवाला हत्याकांड इतिहास का सबसे क्रूरतम और दर्दनाक हत्याकांड माना जाता है, जिसके दूरगामी परिणाम दिखे और इस हत्याकांड ने आजादी की लड़ाई को एक नई दिशा दी। वहीं इसके परिणाम हमें स्वतंत्रता प्राप्ति के रुप में मिले।


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Pushpendra Patel

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