भारतीय संविधान में अनुच्छेद 352 से 360 तक आपातकालीन उपबंधों के बारे में प्रावधान दिए गए हैं। संविधान में 3 प्रकार के आपातकाल की बात कही गयी है राष्ट्रीय आपतकाल अनुच्छेद 352 में, राष्ट्रपति शासन अनुच्छेद 356 में और वित्तीय आपातकाल अनुच्छेद 360 वर्णित है जिसमें से हम राष्ट्रपति शासन के बारे में नीचे कुछ प्वाइंट बता रहे हैं –
- राष्ट्रपति शासन – अनुच्छेद 356 के अंतर्गत की गयी घोषणा को राष्ट्रपति शासन कहा जाता है। भारत में 1950 से जून 2019 तक 132 बार राष्ट्रपति शासन लगाया जा चुका है भारत में राष्ट्रपति शासन सबसे पहले पंजाब में 1951 में लगाया गया था। अब तक लगभग सभी राज्यों में 1 या एक से अधिक बार इसका प्रयोग किया जा चुका है। भारत में सबसे अधिक बार राष्ट्रपति शासन केरल और उत्तर प्रदेश में 9-9 बार लगाया गया है। पंजाब में 8 बार जबकि बिहार और मणिपुर में 7 -7 बार राष्ट्रपति शासन लगाया गया है
- किसी भी प्रदेश में राष्ट्रपति शासन एक संवैधानिक प्रावधान है। यह राज्य में संवैधानिक तंत्र की विफलता की स्थिति में लागू किया जाता है। राष्ट्रपति शासन के दौरान राज्य में सीधे राष्ट्रपति का शासन होता है।
- इसे दो अन्य नामों से भी जाना जाता है 1. संवैधानिक आपातकाल 2. राज्य आपातकाल
- ध्यान रहे संविधान ने किसी राज्य में संवैधानिक संकट पैदा होने की दशा में “आपातकाल” शब्द का प्रयोग नहीं किया है
- अनुच्छेद 356 के अंतर्गत दो आधारों पर राष्ट्रपति शासन घोषित किया जा सकता है 1. यदि राष्ट्रपति; राज्यपाल की रिपोर्ट को स्वीकार कर लेता है कि राज्य सरकार संविधान के उपबंधों के अनुसार नही चल रही है
2. यदि कोई राज्य, केंद्र द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करने या उसे लागू करने में विफल रहता है - राष्ट्रपति शासन के प्रभाव की घोषणा का जारी होने की तारीख से 2 माह के भीतर संसद के दोनों सदनों द्वारा (सामान्य बहुमत से) अनुमोदन हो जाना चाहिए
- यदि संसद के दोनों सदनों द्वारा इसका अनुमोदन कर दिया जाता है तो राष्ट्रपति शासन 6 माह तक चलता रहेगा
- 6-6 माह करके इसे 3 वर्ष तक लगाया जा सकता है
- राष्ट्रपति शासन के दौरान क्या-क्या परिवर्तन हो जाते हैं
1. राष्ट्रपति, मुख्यमंत्री के नेतृत्व वाली मंत्रीपरिषद् को भंग कर देता है
2. राष्ट्रपति, राज्य सरकार के कार्य अपने हाथ में ले लेता है और उसे राज्यपाल और अन्य कार्यकारी अधिकारियों की शक्तियां प्राप्त हो जातीं हैं
3. राज्य का राज्यपाल, राष्ट्रपति के नाम पर राज्य सचिव की सहायता से अथवा राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किसी सलाहकार की सहायता से राज्य का शासन चलाता है
4. राष्ट्रपति, घोषणा कर सकता है कि राज्य विधायिका की शक्तियों का प्रयोग संसद करेगी
5. संसद; राज्य के विधेयक और बजट प्रस्ताव को पारित करती है
6. संसद को यह अधिकार है कि वह राज्य के लिए कानून बनाने की शक्ति राष्ट्रपति अथवा उसके किसी नामित अधिकारी को दे सकती है
7. जब संसद नही चल रही हो तो राष्ट्रपति, “अनुच्छेद 356 शासित राज्य” के लिए कोई अध्यादेश जारी कर सकता है - इस दौरान राष्ट्रपति को सम्बंधित प्रदेश के उच्च न्यायालय की शक्तियां प्राप्त नही होतीं हैं