Amar Jawan Jyoti in Hindi – अमर जवान ज्योति एक भारतीय स्मारक है जिसका निर्माण 1971 के इंडो-पाक युद्ध के बाद शहीद हुए भारतीय सेना के सिपाहियों को स्मरण करते हुए इंदिरा गांधी ने किया था।
अमर जवान ज्योति – Amar Jawan Jyoti in Hindi
- 3 दिसम्बर 1971 से 16 दिसम्बर 1971 तक पूर्वी पाकिस्तान में मुक्ति संग्राम के समय भारतीय सेना का पाकिस्तान का साथ टकराव (1971 का इंडो-पाक युद्ध) हुआ था। जिसके फलस्वरूप बांग्लादेश को स्वतंत्रता मिली थी। स्वतंत्र बांग्लादेश के निर्माण में भारतीय सेना ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, जिसमे हजारो भारतीय सैनिको को अपनी जान गवानी पड़ी।
- इस स्मारक का निर्माण 1971 के इंडो-पाक युद्ध में मारे गए भारतीय सैनिको में याद में किया गया था। दिसम्बर 1971 में इंडो-पाक युद्ध के बाद इंदिरा गांधी ने अमर जवान ज्योति को इंडिया गेट के नीचे बनवाने में आर्थिक सहायता की थी। 26 जनवरी 1972 को (23 वा भारतीय गणतंत्र दिवस) इंडिया गाँधी ने अधिकारिक रूप से इस स्मारक का उद्घाटन किया था।
- इस स्मारक पर स्वर्ण अक्षरों में “अमर जवान” लिखा हुआ है और स्मारक के शीर्ष पर L1A1 आत्म-लोडिंग राइफल भी लगी हुई है, जिसके बैरल पर किसी अज्ञात सैनिक का हेलमेट लटका हुआ है।
- 1972 से हर साल गणतंत्र दिवस की परेड से पहले देश के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, एयर स्टाफ के मुख्य, नवल स्टाफ के मुख्य, आर्मी स्टाफ के मुख्य और सभी मुख्य अतिथि अमर जवान ज्योति पर पुष्पांजलि भी चढाते है, ताकि युद्ध में मारे गए सैनिको को वे श्रद्धांजलि अर्पण कर सके।
- इसके अलावा इस शहीद स्मारक पर शहीद दिवस एवं विजय दिवस समेत अन्य मौके पर भारत के तीनों सेना के प्रमुखों के द्धारा शहीदों को श्रद्धांजली अर्पित की जाती है।
- 1971 से इसके एक कलश में लगातार आग जल रही है। इसकी देखरेख करने वाली इंसान की जिम्मेदारी यही है की वह इस आग को बुझने ना दे।
- 1971 से 2006 तक आग जलती रहने के लिए एलपीजी का उपयोग किया गया और 2006 के बाद से CNG का उपयोग किया जाने लगा। सालभर में चार में से केवल एक ही कलश साल भर जलता रहता है।
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