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Bipin Chandra Pal Biography | बिपिन चंद्र पाल की जीवनी

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बिपिन चंद्र पाल की जीवनी (Bipin Chandra Pal Biography ):-

पूरा नाम- बिपिन चंद्र पाल

जन्म ( Born) – 7 नवंबर 1858

मृत्यु (Died) – 20 मई 1932

जन्म स्थान- हबीबगंज ( वर्तमान बांग्लादेश )

पिता – रामचंद्र पाल

माता – नारायणी देवी

बिपिन चंद्र पाल (Bipin Chandra Pal )

  • बिपिन चंद्र पाल एक भारतीय क्रांतिकारी थे
  • भारतीय स्वाधीनता आंदोलन की रूपरेखा तैयार करने में प्रमुख भूमिका निभाने वाली लाल-बाल-पाल की तिकड़ी में से एक विपिनचंद्र पाल राष्ट्रवादी नेता होने के साथ-साथ शिक्षक, पत्रकार, लेखक व वक्ता भी थे
  • उन्हें भारत में क्रांतिकारी विचारों का जनक भी माना जाता है
  • लाला लाजपत राय, बालगंगाधर तिलक एवं विपिनचन्द्र पाल (लाल-बाल-पाल) की इस तिकड़ी ने 1995 में बंगाल विभाजन के विरोध में अंग्रेजी शासन के विरुद्ध आंदोलन किया जिसे बड़े स्तर पर जनता का समर्थन मिला
  • ‘गरम’ विचारों के लिए प्रसिद्ध इन नेताओं ने अपनी बात तत्कालीन विदेशी शासक तक पहुँचाने के लिए कई ऐसे तरीके अपनाए जो एकदम नए थे इन तरीकों में ब्रिटेन में तैयार उत्पादों का बहिष्कार, मैनचेस्टर की मिलों में बने कपड़ों से परहेज, औद्योगिक तथा व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में हड़ताल आदि शामिल हैं
  • उनके अनुसार विदेशी उत्पादों के कारण देश की अर्थव्यवस्था खस्ताहाल हो रही थी और यहाँ के लोगों का काम भी छिन रहा था उन्होंने अपने आंदोलन में इस विचार को भी सामने रखा
  • राष्ट्रीय आंदोलन के दौरान गरम धड़े के अभ्युदय को महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि इससे आंदोलन को एक नई दिशा मिली और इससे लोगों के बीच जागरुकता बढ़ी
  • राष्ट्रीय आंदोलन के दौरान जागरुकता पैदा करने में उनकी महत्त्वपूर्ण भूमिका रही उनका विश्वास था कि केवल प्रेयर पीटिशन से स्वराज नहीं मिलने वाला है
  • 7 नवंबर 1858 को अविभाजित भारत के हबीबगंज जिले में (अब बांग्लादेश में) एक संपन्न गड़रिया जाति घर में पैदा विपिनचंद्र पाल सार्वजनिक जीवन के अलावा अपने निजी जीवन में भी अपने विचारों पर अमल करने वाले और स्थापित दकियानूसी मान्यताओं के खिलाफ थे
  • उन्होंने एक विधवा से विवाह किया था जो उस समय दुर्लभ बात थी इसके लिए उन्हें अपने परिवार से नाता तोड़ना पड़ा लेकिन धुन के पक्के पाल ने दबावों के बावजूद कोई समझौता नहीं किया
  • किसी के विचारों से असहमत होने पर वह उसे व्यक्त करने में पीछे नहीं रहते यहाँ तक कि सहमत नहीं होने पर उन्होंने महात्मा गाँधी के कुछ विचारों का भी विरोध किया था
  • केशवचंद्र सेन, शिवनाथ शास्त्री जैसे नेताओं से प्रभावित पाल को अरविन्द के खिलाफ गवाही देने से इंकार करने पर छह महीने की सजा हुई थी इसके बाद भी उन्होंने गवाही देने से इंकार करने पर छह महीने की सजा हुई थी इसके बाद भी उन्होंने गवाही देने से इंकार कर दिया था
  • जीवन भर राष्ट्रहित के लिए काम करने वाले पाल का 20 मई 1932 को निधन हो गया
  • पाल की कुछ प्रमुख रचनाएं इस प्रकार हैं:- इंडियन नेस्नलिज्म, नैस्नल्टी एंड एम्पायर, स्वराज एंड द प्रेजेंट सिचुएशन, द बेसिस ऑफ़ रिफार्म, द सोल ऑफ़ इंडिया, द न्यू स्पिरिट, स्टडीज इन हिन्दुइस्म, क्वीन विक्टोरिया – बायोग्राफी
  • बिपिन चंद्र पाल ने लेखक और पत्रकार के रूप में बहुत समय तक कार्य किया था

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Pushpendra Patel

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