Champaran Satyagraha in Hindi- चंपारण सत्याग्रह
19 अप्रैल, 1917 में बिहार के चंपारण जिला में गांधी जी के नेतृत्व में किया गया यह आंदोलन अंग्रेजों द्धारा किसानों पर किए गए अत्याचारों और उनकी दुर्दशा से जुड़ा हुआ है। इस आंदोलन में गांधी जी के अलावा श्री कृष्ण सिंह, जनकधारी प्रसाद, डॉ. राजेन्द्र प्रसाद समेत तमाम दिग्गज नेताओं ने अपनी भागीदारी निभाई। तो आइए जानते हैं चंपारण सत्याग्रह आंदोलन बारे में:-
चंपारण सत्याग्रह आंदोलन के बारे में जानकारी – Champaran Movement in Hindi
चंपारण सत्याग्रह कब हुआ (Champaran Satyagraha Date): | 10 अप्रैल, साल 1917 |
चंपारण सत्याग्रह किस राज्य में हुआ: | बिहार के चंपारण जिला में। |
चंपारण सत्याग्रह आंदोलन की मुख्य वजह क्या थी: | किसानों को उनका अधिकार दिलवाने के लिए |
चंपारण सत्याग्रह आंदोलन के नेतृत्वकर्ता: | महात्मा गांधी |
चंपारण सत्याग्रह आंदोलन के मुख्य राजनेता: | जेबी कृपलानी, रामनवमी प्रसाद, राजेन्द्र प्रसाद, जनकधारी प्रसाद, अनुग्रह नारायण सिंहा |
चंपारण सत्याग्रह आंदोलन और इसका इतिहास – Champaran Satyagraha in Hindi
- चंपारण सत्याग्रह महात्मा गांधी के नेतृत्व में बिहार के चंपारण में हुआ, महात्मा गांधी के नेतृत्व में यह भारत में पहला सत्याग्रह था जो 10 अप्रैल 1917 से हुआ था
- हजारों भूमिहीन मजदूर एवं गरीब किसान खाद्यान के बजाय नील और अन्य नकदी फसलों की खेती करने के लिये वाध्य हो गये थे। इसके साथ ही नील की खेती करने वाले किसानों पर बहुत ही अत्याचार हो रहा था अंग्रेज उनका खूब शोषण करते थे। राजकुमार शुक्ला जो कि एक किसान थे उन्होंने 1916 में लखनऊ में गांधी जी से मुलाकात की और चंपारण आने का आग्रह किया
- राजकुमार शुक्ल के आग्रह पर गांधी जी 10 अप्रैल, 1917 को पहली बार पटना पहुंचे और पांच दिन बाद, मुज़फ्फरपुर से चंपारण के जिला मुख्यालय मोतिहारी पहुंचे और उन्होंने 17 अप्रैल को नील किसानों के लिए हितकारी चम्पारण सत्याग्रह की शुरुआत की। जैसे ही लोगों को इसकी जानकारी लगी तो वहां गांधी जी के दर्शन के लिए हजारों की भीड़ वहां उमड़ पड़ी और अपनी समस्याएं बताई। पुलिस ने गांधीजी को जिला छोड़ने का आदेश दिया गांधी ने इनकार किया और कोर्ट में हाजिर हो गये, कोर्ट के बाहर हजारों की संख्या में किसान गांधी के समर्थन में नारे लगा रहे थे गांधी ने सजा की मांग की जिसे स्थगित कर दिया गया
- सत्याग्रह या अहिंसक प्रतिरोध को एक अन्यायपूर्ण शासन के लिए पहली बार चंपारण में ही बड़े पैमाने पर प्रयोग किया गया था बाद में चंपारण, अहमदाबाद और खेड़ा में बड़े पैमाने पर किए गए बड़े स्थानीयकृत आंदोलन, राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शनों को सीखने के लिए आधार बन गए जिन्हें गांधीजी ने 1919 से शुरू कर दिया था।
- 1917 तक, नील किसानों को तिनकठिया प्रणाली का पालन करने के लिए मजबूर किया गया था जिससे उन्हें अपने भूमि के 20 भागों में से तीन भागों में नील की खेती करने के लिए मजबूर किया गया
- अंग्रेजो द्वारा नील की खेती पर लगभग 40 विभिन्न प्रकार के अवैध उपकरों और करों को लागू किया जाता था जिन्हें अबवाब कहते हैं। किसानों ने इस तरह के उत्पीड़न के खिलाफ कई बार विद्रोह करने की कोशिश की लेकिन इन सभी आंदोलनों को बेरहमी से दबा दिया जाता था
- गांधी जी ने किसानों के बयान दर्ज करते हुए एक समूह के साथ इस क्षेत्र का दौरा किया था जिसमें ज्यादातर स्थानीय वकीलो एवं भरोसेमंद सहयोगी थे उनकी योजना जिले में एक विस्तृत जांच करने और उसके निष्कर्षों के आधार पर कार्रवाई करने के मांग के लिए थी स्थानीय अधिकारी इससे नाखुश थे
- गांधी जी के प्रयासों के बाद आखिरकार, सरकार को जांच के एक आयोग की नियुक्ति के लिए मजबूर किया गया था जिसका नाम था ”चंपारण कृषि समिति” जिसमें गांधीजी को अपने सदस्यों में से एक के रूप में नामांकित किया था। गांधीजी के सत्याग्रह के कारण ब्रिटिश शासकों को झुकना पड़ा और तिनकठिया प्रणाली को समाप्त कर दिया गया। बागान मालिकों ने किसानों से अवैध तरीके से वसूले गए धन का 25 फीसदी वापस किया गया
- चंपारन आंदोलन मे गांधी जी के कुशल नेतृत्व से प्रभावित होकर रवीन्द्रनाथ टैगोर ने उन्हें महात्मा के नाम से संबोधित किया। तभी से लोग उन्हें महात्मा गांधी कहने लगे।
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