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लक्ष्मी सहगल की जीवनी | Lakshmi Sahgal Biography

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 Gk Skill की इस पोस्ट में लक्ष्मी सहगल (Lakshmi Sahgal) से जुड़े महत्वपूर्ण एवं रोचक तथ्य जैसे उनकी व्यक्तिगत जानकारी, शिक्षा तथा करियर, उपलब्धि तथा सम्मानित पुरस्कार और भी अन्य जानकारियाँ। इस पोस्ट में दिए गए लक्ष्मी सहगल (Lakshmi Sahgal) से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्यों को एकत्रित किया गया है जिसे पढ़कर आपको प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने में मदद मिलेगी और आप इनके बारे में अपनी जानकारी बड़ा पाएंगे । Lakshmi Sahgal Biography and Interesting Facts in Hindi.

लक्ष्मी सहगल की जीवनी (Lakshmi Sahgal Biography )

पूरा नाम- लक्ष्मी सहगल (Lakshmi Sahgal)

जन्म ( Born) – 24 अक्टूबर 1914

मृत्यु (Died) – 23 जुलाई 2012

जन्म स्थान- चेन्नई

पिता – एस. स्वामीनाथन

माता – ए वी अम्मू स्वामीनाथन

लक्ष्मी सहगल (Lakshmi Sahgal)

  •  मद्रास प्रांत के मालाबार में 24 अक्टूबर 1914 को (अब चेन्नई) जन्मी लक्ष्मी सहगल भारतीय स्वतंत्रता अभियान की एक क्रांतिकारी और भारतीय राष्ट्रीय सेना में अधिकारी होने के साथ-साथ आज़ाद हिंद सरकार में विमेन अफेयर्स की मिनिस्टर भी थी
  •  उनके जन्म का नाम लक्ष्मी स्वामीनाथन था। उन्हें भारत में “कप्तान सहगल” के नाम से भी जाना जाता है यह उपनाम उन्हें तब मिला जब बर्मा में द्वितीय विश्व युद्ध के समय उन्हें कैद करके रखा गया था
  •  उनके पिता एस. स्वामीनाथन एक वकील और माँ ए.वी. अम्मू स्वामीनाथन एक सामाजिक कार्यकर्ता और स्वतंत्रता सेनानी थी
  •  जन्म के समय उनके पिता मद्रास उच्च न्यायालय में क्रिमिनल लॉ का अभ्यास कर रहे थे
  •  उनकी माँ केरल के एक ऐसे जाने-माने स्वतंत्रता सेनानी परिवार से थी, जिन्होंने आज़ादी के आंदोलनों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था
  •  इसलिए यह कहना गलत नहीं होगा कि सहगल के अंदर क्रांतिकारी स्वभाव उनकी माँ से आया
  •  सहगल बचपन से ही विद्रोही स्वभाव की थी ! Lakshmi Sahgal Biography
  •  पहली लड़ाई उन्होंने अपने घर से अपनी दादी के खिलाफ लड़ी थी
  •  उनकी दादी का मानना था कि आदिवासियों की परछाई भी गंदगी फैलाती है। जिसके बाद सहगल एक दिन अपनी एक आदिवासी दोस्त को अपने साथ ले आईं और उसके साथ खेलने लगी। दादी ने मना किया तो जमकर बहस हुई
  •  1930 में पिता का देहावसान होने के बाद इस दुख की घड़ी का भी साहसपूर्वक सामना करते हुए 1932 में सहगल ने विज्ञान में स्नातक की परीक्षा पास की
  •  वह शुरू से ही बीमार गरीबों को इलाज़ के लिए परेशान देखकर दुखी हो जाती थी। इसी के मद्देनज़र उन्होंने गरीबों की सेवा के लिए चिकित्सा का पेशा चुना और 1938 में मद्रास मेडिकल कॉलेज से एम.बी.बी.एस. की डिग्री हासिल की
  •  इसके बाद उन्होंने स्त्री रोग और प्रसूति में डिप्लोमा हासिल किया
  •  इसके साथ ही वह चेन्नई में स्थापित सरकारी कस्तूरबा गाँधी अस्पताल में बतौर डॉक्टर काम करती रहीं
  •  पढ़ाई समाप्त होने के बाद 1940 में उन्हें सिंगापुर जाने का अवसर प्राप्त हुआ। जहां उन्होंने गरीब भारतीयों और मज़दूरों के लिए एक चिकित्सा शिविर लगाया
  •  इसके बाद उन्होंने गरीबों के लिए एक अस्पताल की स्थापना की
  •  कुछ समय सिंगापुर में रहते हुए उनकी मुलाकात सुभाष चन्द्र बोस के भारतीय राष्ट्रीय सेना के कुछ सदस्यों से हुई उसी समय से उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता अभियान में सक्रिय रूप से बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया
  •  वर्ष 1942 में द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जब अंग्रेज़ों ने सिंगापुर को जापानियों को समर्पित कर दिया था, तब उन्होंने घायल युद्ध बन्दियों के लिए काफी काम किया
  •  उसी समय ब्रिटिश सेना के बहुत से भारतीय सैनिकों के मन में भी अपने देश की स्वतंत्रता के लिए काम करने का विचार उठने लगा
  •  सिंगापुर में उस समय बहुत से सक्रिय राष्ट्रीय स्वतंत्रता सेनानी थे। जैसे, के.पी. केशव मेनन, एस.सी. गुहा और एन. राघवन आदि। जिन्होंने काउंसिल ऑफ एक्शन की स्थापना की थी
  •  उनकी आज़ाद हिंद फौज ने युद्ध में शामिल होने के लिए जापानी सेना की अनुमति भी ले ली थी
  •  सहगल भी आज़ादी की अलख से खुद को दूर नहीं रख सकीं और जब 2 जुलाई 1943 को जब सुभाष चंद्र बोस सिंगापुर आए तब एक घंटे की मुलाकात के बाद सहगल ने अपनी इच्छा जता दी कि वह भी उनके साथ आज़ादी की लड़ाई में उतरना चाहती हैं
  •  बोस भी महिलाओं को आज़ादी की लड़ाई में उतारना चाहते थे और महिलाओं को आगे बढ़ाने के संकल्प में वह बोला करते थे कि “देश की आज़ादी के लिए लड़ो और आज़ादी को पूरा करो।”
  •  सहगल का जज़्बा देखकर बोस ने सहगल के नेतृत्व में ‘रानी लक्ष्मीबाई रेजिमेंट की घोषणा कर दी। इस रेजिमेंट में सहगल ‘कैप्टेन’ के नाम से जानी जाती थी और उनसे प्रभावित होकर ही, बाकी महिलाएं इस रेजिमेंट में शामिल होती गई
  •  अपने साहस और अद्भुत कार्य की बदौलत, बाद में उन्हें ‘कर्नल’ का पद भी मिला जो एशिया में किसी महिला को पहली बार मिला था। लेकिन लोगों ने उन्हें ‘कैप्टन लक्ष्मी’ के रूप में ही याद रखा
  •  डॉ. लक्ष्मी सहगल अस्थाई ‘आज़ाद हिंद सरकार’ की कैबिनेट में पहली महिला सदस्या बनी। इसके बाद भारतीय राष्ट्रीय सेना ने जापानी सेना के साथ मिलकर दिसम्बर 1944 में बर्मा के लिए आंदोलन किया
  •  लेकिन युद्ध के दौरान मई 1945 में ब्रिटिश सेना ने कप्तान लक्ष्मी को गिरफ्तार कर लिया और भारत भेजे जाने से पहले मार्च 1946 तक उन्हें बर्मा में ही रखा। मगर आज़ादी के लिए तेज़ी से बढ़ रहे दबाव के बीच उन्हें रिहा कर दिया गया
  •  सहगल ने अपने समय में बहुत ही सराहनीय कार्य किए। उन्होंने अपने कंधे पर महिलाओं को फौज में भर्ती करने की ज़िम्मेदारी उठाई और उसे बखूबी निभाया भी
  •  जिस वक्त औरतों का घर से निकलना भी जुर्म समझा जाता था उस वक्त उन्होंने 500 महिलाओं की एक फौज तैयार की जो एशिया में अपने तरह की पहली विंग थी
  •  सहगल ने मार्च 1947 में लाहौर में प्रेम कुमार सहगल से शादी कर ली थी। जिसके बाद वे कानपुर में बस गए। लेकिन लक्ष्मी सहगल अपनी बुलंद आवाज़ उठाती रही
  •  1971 में उन्होंने मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इण्डिया/ सीपीआईएम) की सदस्यता ग्रहण की और राज्यसभा में पार्टी का प्रतिनिधित्व किया
  •  1981 में वह अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति (ऑल इण्डिया डेमोक्रेटिक्स वोमेन्स एसोसिएशन) की संस्थापक सदस्यों में भी रही
  •  साथ ही बांग्लादेश विवाद के समय उन्होंने कलकत्ता में बांग्लादेश से भारत आ रहे शरणार्थियों के लिए बचाव कैंप और मेडिकल कैंप भी खोला था
  •  1984 में हुए भोपाल गैस त्रासदी के वक्त भी उन्होंने अपनी टीम के साथ भोपाल पहुंच कर राहत का काम किया था। इसके बाद वह 1984 में हुए सिख दंगों के समय कानपुर में शांति लाने का काम करने लगी
  •  1996 में बैंगलोर में मिस वर्ल्ड कॉम्पीटिशन के खिलाफ अभियान करने के लिए उन्हें गिरफ्तार भी किया गया था
  •  2002 में चार पार्टी- कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया, दी कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सवादी), क्रांतिकारी समाजवादी पार्टी और ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक ने सहगल का नाम राष्ट्रपति चुनाव के लिए भी दिया था। उस समय राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की वह एकमात्र विरोधी उम्मीदवार थीं
  •  स्वतंत्रता आंदोलन में उनके महत्त्वपूर्ण योगदान और संघर्ष को देखते हुए उन्हें 1998 में भारत के राष्ट्रपति के.आर.नारायणन द्वारा पद्म विभूषण सम्मान से नवाज़ा गया था
  •  23 जुलाई 2012, को उनका निधन कानपुर के एक अस्पताल में हुआ। जिसके बाद उनके पार्थिव शरीर को कानपुर मेडिकल कॉलेज को मेडिकल रिसर्च के लिए दान में दे दिया गया
  •  साथ ही उनकी याद में कानपुर में ही कप्तान लक्ष्मी सहगल इंटरनेशनल एयरपोर्ट बनाया गया
  •  हम कह सकते हैं कि महिलाओं के हक में आवाज़ उठाने वाली इस महिला ने हर महिला के अंदर क्रांति के बीज बो दिए। आज भी हर महिला की आवाज़ में सहगल की आवाज़ शामिल है

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Pushpendra Patel

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