Mughal History in Hindi
मुग़ल साम्राज्य की शुरुवात अप्रैल, 1526 में इब्राहिम लोदी और बाबर के बीच हुए पानीपत के युद्ध के बाद हुई थी। इस युद्ध में जीत के बाद भारत में दिल्ली सत्लनत का शासन खत्म हुआ और मध्यकालीन भारत में मुगल वंश की नींव रखी गई, जिसके बाद करीब 18 वीं शताब्दी, देश के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम तक मुगलों ने भारतीय उपमहाद्धीप पर राज किया था। ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के आने तक भारत में मुगलों ने अपना शासन चलाया था। तो आइए जानते हैं मुगल वंश के इतिहास के बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी–
मुग़ल साम्राज्य का रोचक इतिहास – Mughal History in Hindi
वंश का नाम | मुगल वंश |
संस्थापक | बाबर |
प्रमुख सत्ताकेंद्र स्थान | दिल्ली, औरंगाबाद, आगरा |
शासन काल मे कला से जुडी प्रमुख उपलब्धियां | ताजमहाल, लाल किला, जामा मस्जिद, बीबी का मकबरा, लाहोर मस्जिद, मोती मस्जिद, तक्ख्त-ए- ताउस इत्यादी |
अंतिम शासक | बहादुर शाह जफर |
साम्राज्य का कुल शासनकाल | लगभग 331 साल |
मुगल वंश के शासकों की सूची – List of Mughal Emperors in Hindi
शासक का नाम | शासनकाल |
बाबर | 1526-1530 |
हुमायूं | 1530 – 1540 |
अकबर | 1556 –1605 |
जहांगीर | 1605 –1627 |
शाहजहाँ | 1627 –1658 |
औरंगजेब | 1658 –1707 |
बहादुरशाह | 1707 –1712 |
जहांदार शाह | 1712 –1713 |
फर्रुख्शियार | 1713 –1719 |
मोहम्मद शाह | 1719 –1748 |
अहमद शाह बहादुर | 1748 –1754 |
आलमगीर द्वितीय | 1754–1759 |
शाह आलम द्वितीय | 1760 –1806 |
अकबर शाह द्वितीय | 1806 –1837 |
बहादुर शाह द्वितीय | 1837–1857 |
मुगल वंश का इतिहास – Mughal Samrajya ka Itihas – Mughal History in Hindi
यहां हम आपको मुगल वंश के प्रमुख शासकों और उनके बारे में जानकारी उपलब्ध करवा रहे हैं।
1. मुगल वंश के संस्थापक बाबर :
- भारत में साल 1526 में पानीपत की लड़ाई के बाद भारत में लोदी वंश और दिल्ली सल्लनत का अंत हुआ एवं बाबर द्धारा मुगल वंश की स्थापना की गई।
- बाबर का जन्म 14 फरवरी 1483 ई. में हुआ इसके पिता उमरशेख मिर्जा फरगाना राज्य के शासक थे
- इसके पुत्र और पुत्री – हुमायूँ, कामरान, अस्करी, हिन्दाल, गुलबदन बेगम (पुत्री)
- पानीपत के युद्ध पहली बार तुगलमा नीति और तोपखानो का प्रयोग किया था इसके दो प्रसिद्ध निशानेबाज उस्ताद अली और मुस्तफा थे
- बाबर ने भारत पर 5 बार हमला किया था। उसने 1519 ईसवी में यूसुफजई जाति के खिलाफ भारत में अपना पहला संघर्ष छेड़ा था, इस अभियान में बाबर ने बाजौर और भेरा को अपने कब्जे में कर लिया था।
- बाबर ने अपनी आत्मकथा बाबरनामा की रचना की थी
- बाबर ने क़ाबुली बाग़ मस्जिद, आगरा की मस्जिद, जामा मस्जिद, बाबरी मस्जिद,नूर अफ़ग़ान का निर्माण करवाया
- बाबर को मुबईयान नामक पद्य शैली का पितामह भी माना जाता है। बाबर की मृत्यु के बाद उसके पुत्र हुमायूं ने मुगल सम्राज्य का शासन संभाला।
बाबर द्वारा लड़े गये प्रमुख युद्ध
युद्ध | वर्ष | पक्ष | परिणाम |
---|---|---|---|
पानीपत का प्रथम युद्ध | 1526 | इब्राहिम लोदी व बाबर | बाबर विजयी |
खानवा का युद्ध | 1527 | राणा सांगा व बाबर | बाबर विजयी |
चन्देरी का युद्ध | 1528 | मेदनी राय व बाबर | बाबर विजयी |
घाघरा का युद्ध | 1529 | अफगानों व बाबर | बाबर विजयी |
2. हुमायूं:
- अपने पिता बाबर की मृत्यु के बाद 29 दिसम्बर 1530 ई. आगरा में सिंहासन पर बैठा
- दीनपनाह (दिल्ली) को दूसरी राजधानी के रूप में स्थापित किया
- शेर शाह सूरी के साथ दो लड़ाइयां लड़ी – चौसा (1539 ईस्वी) की लड़ाई ; कन्नौज की लड़ाई (1540 ईस्वी) । इन दोनों युद्धों में हुमायूं पराजित हुआ
- 29 अगस्त 1541 ई. को हमीदा बानू बेगम से हुमायूं का विवाह हुआ । कालान्तर में हमीदा से ही अकबर का जन्म हुआ
- 1555 ई. के सरहिंद युद्ध में हुमायूं ने शूरी शासक सिकन्दर को पराजित किया ओर पुन: दिल्ली की गद्दी पर बैठा। मुगल सम्राट हुमायूं ने ही हफ्ते में सातों दिन सात अलग-अलग रंग के कपड़े पहनने के नियम बनाए थे।
- 1556 ई. में अपने पुस्तकालय भवन की सीढ़ियों से गिरने के कारण मृत्यु हो गई थी
- हुमायूँ की जीवनी “हुमायूंनामा” उसके सौतेली बहन गुलबदन बेगम ने लिखा था
3. मुगल सम्राट अकबर :
- अकबर का जन्म 15 अक्टूबर 1542 को अमरकोट के राणा वीर साल के महल में हुआ ।
- अकबर की माता का नाम हमीदा बानो बेगम था
- मुगल शासक हुमायूं की मृत्यु के बाद उनके पुत्र अकबर, मुगल सिंहासन की राजगद्दी पर बैठे थे।
- 14 साल की छोटी सी उम्र में ही अकबर को मुगल सम्राज्य का शासक बनाया गया था, इसलिए कुछ समय तक उनके पिता के मंत्री बैरम खां उनके संरक्षक रहे थे।
- मनसबदारी प्रथा – सज्जनता और सेना को व्यवस्थित करने के लिए स्थापित किया
- गुजरात पर विजय के उपलक्ष्य में बुलंद दरवाजे का निर्माण करवाया था
- राल्फ फिच पहले अंग्रेज थे जो 1585 में अकबर के दरबार में आया था
- जजिया कर (1564 ईस्वी ) को समाप्त कर दिया
- सुलह -ए- कुल (सभी के लिए शांति) पे जोर दिया था
- अकबर के दीवान राजा टोडरमल ने 1580 ई. में दहसाल बन्दोबस्त व्यवस्था लागू की
- इबादत खाना (प्रार्थना के हॉल) को फतेहपुर सीकरी में निर्मित किया
- पानीपत की दूसरी लड़ाई 5 नवम्बर 1556 को अकबर और हेमू के बीच हुई। यह युद्ध अकबर ने जीता
- 1579 में ” अचूकता की डिग्री” (Degree of infallibility) जारी किया था
- दीन -ए- इल्लाहि (1582 ईस्वी) धर्म को निरुपित किया
- अकबर की मृत्यु 27 अक्टूबर 1605 को आगरा फतेहपुर सीकरी में हुई
- अकबर के शासनकाल के दौरान आगरा किला, बुलंद दरवाजा, फतेहपुर सीकरी, हुमायूं मकबरा, इलाहाबाद किला, लाहौर किला, और सिकंदरा में उनका खुद का मकबरा समेत कई वास्तुशिल्प कृतियों का निर्माण भी किया गया।
- इसके दरबार के नौ रत्न (नवरत्न) थे – बीरबल, अबुल फजल, मानसिंह, भगवानदास, तानसेन, फैजी, अब्दुर्रहीम खानखाना, मुल्ला दो प्याजा, टोडरमल,
अकबर के कुछ महत्वपूर्ण कार्य
कार्य | वर्ष |
---|---|
दास प्रथा का अन्त | 1562 |
अकबर को हरमदल से मुक्ति | 1562 |
तीर्थयात्रा कर समाप्त | 1563 |
जजिया कर समाप्त | 1564 |
फतेहपुर सीकरी की स्थापना एवं राजधानी आगरा से फतेहपुर सीकरी स्थानान्तरण | 1571 |
इबादतखाने की स्थापना | 1575 |
इबादतखाने में सभी धर्मों के लोगों के प्रवेश की अनुमति | 1578 |
मजहर की घोषणा | 1579 |
दीन-ए-इलाही की स्थापना | 1582 |
इलाही संवत् की शुरूआत | 1583 |
राजधानी लाहौर स्थानांतरित | 1585 |
4. मुगल शासक जहांगीर:
- मुगल सम्राट अकबर की मृत्यु के बाद उनके बेटे सलीम, जहांगीर के नाम से मुगल सम्राज्य के शासक बने
- सिखो के पांचवें गुरु, गुरु अर्जुन देव को जहांगीर ने प्राणदंड दिया था क्योंकि इन्होने खुसरो की मदद की थी
- शाही न्याय के साधक के लिए आगरा फोर्ट पर ज़ंजीर -ए- अदल की स्थापना की
- कैप्टन हॉकिन्स और सर थॉमस रो ने दरबार का दौरा किया था
- जहांगीर चित्रकला का गूढ़ प्रेमी था, उसके शासनकाल को चित्रकला का स्वर्णकाल भी कहा जाता है।
- जहांगीर को आगरा में बनी “न्याय की जंजीर” के लिए भी याद किया जाता है।
- अब्दुल हसन, उस्ताद मंसूर और बिशनदास दरबार के प्रसिद्ध चित्रकारों में से थे
5. मुगल शासक शाहजहां (खुर्रम):
- जहांगीर के बाद सिंंहासन पर शाहजहां बैठा।
- शाहजहां का पूरा नाम मिर्ज़ा साहब उद्दीन बेग़ मुहम्मद ख़ान ख़ुर्रम था।
- इनकी माता का नाम जगत गोसाई (जोधाबाई) था जो जोधपुर के राजा उदय सिंह की पुत्री थी ।
- शाहजहां का विवाह अरजुमन्द बानो बेगम (मुमताज) से हुआ जिसे शाहजहां ने मलिका-ए-जमानी की उपाधि दी। मुमताज की मृत्यु प्रशव पीड़ा के कारण हो गई थी
- अपनी बेगम मुमताज महल की याद में शाहजहां ने ताजमहल का निर्माण आगरा में उसकी कब्र पर करवाया । जिसकी रूप रेखा उस्ताद ईशा ने तैयार की थी । ताजमहल का निर्माण करने वाला मुख्य कलाकार उस्ताद अहमद लाहौरी था।
- शाहजहां ने अपने शासनकाल में मुगल कालीन कला और संस्कृति को जमकर बढ़ावा दिया, इसलिए शाहजहां के शासनकाल को स्थापत्यकला का स्वर्णयुग कहा जाता है
- शाहजहां द्वारा बनवायी गई प्रमुख इमारतें हैं- ताजमहल, दिल्ली का लाल क़िला , आगरा का मोती मस्जिद , दिल्ली की जामा मस्जिद , लाहौर किला, शीश महल
- अहमदनगर और बीजापुर को कब्जे में लिया और गोलकुंडा को अपने आधिपत्य के लिए बाध्य किया
- सितम्बर 1657 में शाहजहां के बीमार पड़ने और मृत्यु की अफवाह फैलने के कारण उसके पुत्रो के बीच उत्तराघिकार युध्द प्रारंभ हुआ।
6. मुगल शासक औरंगजेब:
- औरंगजेब का जन्म 24 अक्टूबर 1618 को दोहाद गुजरात में हुआ था । इनकी माता का नाम मुमताज महल था
- औरंंगजेब के गुरू का नाम मीर मुहम्मद हकीम था
- औरंगजेब सुन्नी धर्म को मनाता था उसे जिन्दा पीर कहा जाता था
- इस्लाम नही स्वीकार करने के कारण इसने 1675 में नौवें सिख गुरू, गुरू तेग बहादुर को मार डाला
- औरंगाबाद में बीवी का मक़बरा ; दिल्ली के लाल किले में मोती मस्जिद; जामी या बादशाही मस्जिद लाहौर में निर्मित किया
- उसकी की मौत के बाद मुगल सम्राज्य की नींव धीमे-धीमे कमजोर पड़ने लगी थी।
- औरंगजेब ने कुरान को अपने शासन का आधार बनाया, इसने नवरोज त्योहार का मनाना , भांग की खेती करना , गाना बजाना, झरोखा दर्शन , तुलादान प्रथा प्रतिबंध लगा दिया था
- इसने 1665 में हिंदु मंदिरों को तोड़ने का आदेश दिया । इसके शासन काल में सोमनाथ मंदिर, बनारस का काशी विश्वनाथ मंदिर आदि प्रमुख हैं
- औरंगजेब के शासन काल में मुगल सेना मे सर्वाधिक हिंदू सेनापति थे
7. बहादुर शाह प्रथम :
- बहादुर शाह प्रथम भारत पर सिर्फ 5 साल शासन किया।
- उत्तराधिकारी युद्ध में गुरू गोविंद सिंह ने बहादुर शाह का साथ दिया था।
- बहादुर शाह का पूर्व नाम मुअज्जम था बहादुर शाह को शाह-ए-खबर के उपनाम से जाना जाता था
- बहादुर शाह के शासन के समय उसके दरबार में षणयंत्रों के कारण दो दल बन गए थे, जिसमें ईरानी दल ‘शिया मत’ को मानने वाले थे, जबकि तुरानी दल ‘सुन्नी मत’ के समर्थक थे।
- बहादुर शाह प्रथम ने राजपूतों के साथ संधि की नीति अपनाई थी, इसके साथ ही उसने मराठाओं के साथ शांति स्थापित करने की कोशिश भी की थी, जो मुगल वंश के लिए सबसे बड़ा खतरा थे। इस तरह बहादुर शाह की नीतियों ने मुगल वंश के पतन का कारण बनी।
8. जहांदार शाह :
- जहांदार शाह के पिता बहादुरशाह प्रथम की मौत के बाद उत्तराधिकार के लिए सभी भाइयों में काफी संघर्ष हुआ, जिसमें उसके तीन भाइयों की मौत हो गई, जिसके बाद जहांदार शाह मुगल सिंहासन की राजगद्दी पर बैठा था। जहांदारशाह ने बेहद कम समय तक ही शासन किया।
- जहांदार शाह ने अपने शासन में लाल कुमारी नाम की वैश्या को हस्तक्षेप का आदेश दे रखा था
- प्रथम मुगल शासक जिसको सय्यद बन्धु- अब्दुल्लाह खान और अली हुसैन सैयद ने मार डाला ( हिन्दुस्तानी पार्टी के नेता थे)
9. फर्रुख्शियार :
- मुगल वंश का शासक बनने के बाद ही फर्रुख्शियार ने जुल्फिकार खां की हत्या करवा दी। इसके साथ ही उसने सिक्ख नेता बन्दा सिंह को उसके 740 समर्थकों के साथ बन्दी बना लिया और बाद में इस्लाम धर्म स्वीकार नहीं करने पर उसकी निर्मम तरीके से हत्या कर दी गई।
- 1717 में फर्रुख्शियार ने ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी को बंगाल के लिए मुफ्त व्यापार करने का अधिकार दिया, जिसके बाद से ही अंग्रेज भारत में मजबूती से पैर जमाने लगे
10. मुहम्मद शाह :
- मोहम्मद शाह को मोहम्मद शाह रंगीला के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि इसे नाच-गाने का भी काफी शौक था। और सुंदर युवतियों के प्रति अत्याधिक रूझान था
- मोहम्मद शाह के शासनकाल में साल 1739 में नादिरशाह ने भारत पर आक्रमण कर दिल्ली में लूटपाट मचाई ।
- मुगल इतिहास में पहली बार बाजीराव (मराठा) ने दिल्ली में छापा मारा था
- नादिर शाह ने मुहम्मद शाह के समय ही दिल्ली पर आक्रमण किया था । इसमें वह तखते ताऊस और कोहिनूर हीरा लेकर फारस लौटा । नादिर शाह ईरान का सम्राठ था जिसे ईरान का नेपोलियन कहा जाता है
- तख्ते ताऊस या मयूर सिंंहासन पर बैठने वाला अंतिम मुगल शासक मुहम्मद शाह था
- फारस के नादिर शाह ने सआदत खान की मदद से मुगल सेना को पराजित किया (करनाल लड़ाई)
- मोहम्मद शाह के शासनकाल के समय कई विदेशी शक्तियों ने भारत में अपने पैर पसार लिए थे, इस तरह मोहम्मद शाह, मुगल वंश के एक कमजोर शासक के रुप में उभरे।
11. अहमद शाह बहादुर :
- मुगल सल्लतनत पर करीब 6 साल तक अहमद शाह बहादुर ने शासन किया था। उसके शासनकाल में राज्य का कामकाज महिलाओं और हिजड़ों के एक गिरोह के हाथों में था।
- अहमद शाह बहादुर एक अयोग्य एवं अय्याश शासक था, जिसमें प्रशासनिक क्षमता न के बराबर थी। उसकी मूर्खतापूर्ण फैसलों से न सिर्फ मुगल अर्थव्यवस्था बेहद कमजोर हो गई, बल्कि भारत पर अफगान हमलों का खतरा भी बढ़ गया।
- शासनकाल के दौरान, प्लासी की लड़ाई हुई थी
12. आलमगीर द्वितीय :
12. शाहआलम द्वितीय :
- ‘ अली गौहर ‘ नाम से लोकप्रिय था जो 1764 ईसवी में बक्सर की लड़ाई में हार गया था
- शाह आलम द्वितीय 1759 में आलमगीर द्धितीय के उत्तराधिकारी के रुप में मुगल सिंहासन की गद्दी पर बैठा था। बादशाह शाहआलम द्धितीय ने अपने शासनकाल में ईस्ट इंडिया कंपनी से इलाहाबाद की संधि कर ली थी
- शाह आलम द्वितीय के शासनकाल में अंंग्रेजों ने दिल्ली पर कब्जा कर लिया
- शाह आलम द्धितीय के शासनकाल के दौरान ही अहमद-शाह-अब्दाली ने आक्रमण किया था।
- पानीपत की तीसरी लड़ाई , इसी के शासनकाल में हुई थी
- प्रथम मुगल शासक जो ईस्ट इंडिया कंपनी पेंशनभोगी बना
13. अकबर शाह द्वितीय :
14. बहादुर शाह ज़फ़र :
- इन्हें बहादुरशाह द्वितीय के नाम से भी जाना जाता था
- बहादुर शाह जफर ने अंग्रेजों को भारत से खदेड़ने के लिए उनके खिलाफ विद्रोह किया। हालांकि,अपने शासनकाल में उनके पास वास्तविक शक्तियां नहीं थी, वह अंग्रेजों पर आश्रित थे।
- 1857 में अंग्रेजों से हार के बाद उन्हें म्यांमार में भेज दिया जहां 1862 में उनकी मृत्यु हो गई, और इसी के साथ सदियों तक भारत पर राज कर चुके मुगलों का अंत हो गया।
- लाल किला स्थित हीरा महल बहादुर शाह जफर ने बनावाया था
- बहादुर शाह ज़फर मुग़ल वंश के अंतिम शासक थे। इन्होंने आजादी के पहले स्वतंत्रता संग्राम तक अपना शासन किया।
मुगलों के प्रमुख युद्ध और वर्चस्व – Mughal History in Hindi |
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1526 – पानीपत का प्रथम युद्ध 1527 – खानवा का युद्ध 1529 – घाघरा का युद्ध 1539 – चौसा का युद्ध 1556 – पानीपत का दूसरा युद्ध 1567 – थानेसर का युद्ध 1575 – तुकारोई का युद्ध 1576 – हल्दीघाटी का युद्ध 1658 – समुगढ़ का युद्ध 1659 – खाजवा का युद्ध 1671 – सराईघाट का युद्ध 1739 – करनाल का युद्ध |
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