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Osho Rajneesh Biography | ओशो रजनीश की जीवनी

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Gk Skill की इस पोस्ट में ओशो रजनीश (Osho Rajneesh ) से जुड़े महत्वपूर्ण एवं रोचक तथ्य जैसे उनकी व्यक्तिगत जानकारी, शिक्षा तथा करियर, उपलब्धि तथा सम्मानित पुरस्कार और भी अन्य जानकारियाँ। इस पोस्ट में दिए गए ओशो रजनीश (Osho Rajneesh ) से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्यों को एकत्रित किया गया है जिसे पढ़कर आपको प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने में मदद मिलेगी और आप इनके बारे में अपनी जानकारी बड़ा पाएंगे । Osho Rajneesh Biography and Interesting Facts in Hindi.

ओशो रजनीश की जीवनी (Osho Rajneesh Biography ):-

पूरा नाम- ओशो रजनीश

जन्म ( Born) – 1 दिसंबर 1931

मृत्यु (Died) – 19 जनवरी 1990

जन्म स्थान- कुचवाड़ा ,रायसेन ( मध्य प्रदेश )

पिता – बाबूलाल जैन

माता – सरस्वती जैन

ओशो रजनीश (Osho Rajneesh )

  • ओशो जिन्हें क्रमशः भगवान श्री रजनीश, ओशो रजनीश, या केवल रजनीश के नाम से जाना जाता है, एक भारतीय विचारक, धर्मगुरु और रजनीश आंदोलन के प्रणेता-नेता थे
  • अपने संपूर्ण जीवनकाल में आचार्य रजनीश को एक विवादास्पद रहस्यदर्शी, गुरु और आध्यात्मिक शिक्षक के रूप में देखा गया
  • वे धार्मिक रूढ़िवादिता के बहुत कठोर आलोचक थे, जिसकी वजह से वह बहुत ही जल्दी विवादित हो गए और ताउम्र विवादित ही रहे
  • 1960 के दशक में उन्होंने पूरे भारत में एक सार्वजनिक वक्ता के रूप में यात्रा की
  • 1 दिसंबर, 1931 को मध्य प्रदेश के कुचवाड़ा में उनका जन्म हुआ था
  • जन्म के वक्त उनका नाम चंद्रमोहन जैन था
  • बचपन से ही उन्हें दर्शन में रुचि पैदा हो गई ऐसा उन्होंने अपनी किताब ‘ग्लिप्सेंस ऑफड माई गोल्डन चाइल्डहुड’ में लिखा है
  • उन्होंने अपनी पढ़ाई जबलपुर में पूरी की और बाद में वो जबलपुर यूनिवर्सिटी में लेक्चरर के तौर पर काम करने लगे
  • उन्होंने अलग-अलग धर्म और विचारधारा पर देश भर में प्रवचन देना शुरू किया
  • प्रवचन के साथ ध्यान शिविर भी आयोजित करना शुरू कर दिया
  • शुरुआती दौर में उन्हें आचार्य रजनीश के तौर पर जाना जाता था
  • नौकरी छोड़ने के बाद उन्होंने नवसंन्यास आंदोलन की शुरुआत की इसके बाद उन्होंने खुद को ओशो कहना शुरू कर दिया
  • 1981 से 1985 के बीच वो अमरीका चले गए
  • अमरीकी प्रांत ओरेगॉन में उन्होंने आश्रम की स्थापना की ये आश्रम 65 हज़ार एकड़ में फैला था
  • ओशो का अमरीका प्रवास बेहद विवादास्पद रहा महंगी घड़ियां, रोल्स रॉयस कारें, डिजाइनर कपड़ों की वजह से वे हमेशा चर्चा में रहे
  • ओरेगॉन में ओशो के शिष्यों ने उनके आश्रम को रजनीशपुरम नाम से एक शहर के तौर पर रजिस्टर्ड कराना चाहा लेकिन स्थानीय लोगों ने इसका विरोध किया
  • 1985 में संयुक्त राज्य अमेरिका तथा 21 अन्य देशों से ठुकराए जाने पर भारत आए
  • 1985 में वे भारत में पुणे के कोरेगांव पार्क इलाके में स्थित अपने आश्रम में लौट आए
  • उनकी मृत्यु 19 जनवरी, 1990 में हो गई
  • उनकी मौत के बाद पुणे आश्रम का नियंत्रण ओशो के क़रीबी शिष्यों ने अपने हाथ में ले लिया आश्रम की संपत्ति करोड़ों रुपये की मानी जाती है और इस बात को लेकर उनके शिष्यों के बीच विवाद भी है
  • ओशो के शिष्य रहे योगेश ठक्कर ने बीबीसी मराठी से कहा, “ओशो का साहित्य सबके लिए उपलब्ध होना चाहिए इसलिए मैंने उनकी वसीयत को बॉम्बे हाई कोर्ट में चैलेंज किया है.”
  • ओशो का डेथ सर्टिफिकेट जारी करने वाले डॉक्टर गोकुल गोकाणी लंबे समय तक उनकी मौत के कारणों पर खामोश रहे लेकिन बाद में उन्होंने अपनी चुप्पी तोड़ते हुए कहा कि मृत्यु प्रमाण पत्र पर उनसे ग़लत जानकारी देकर दस्तख़त लिए गए
  • डॉक्टर गोकुल गोकाणी ने योगेश ठक्कर के केस में अपनी तरफ से शपथपत्र दाखिल किया उनका कहना है कि ओशो की मौत के सालों बाद भी कई सवालों के जवाब नहीं मिल रहे थे और मौत के कारणों को लेकर रहस्य बरक़रार है

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Pushpendra Patel

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