Gk Skill की इस पोस्ट में पन्नालाल घोष (Pannalal Ghosh) से जुड़े महत्वपूर्ण एवं रोचक तथ्य जैसे उनकी व्यक्तिगत जानकारी, शिक्षा तथा करियर, उपलब्धि तथा सम्मानित पुरस्कार और भी अन्य जानकारियाँ। इस पोस्ट में दिए गए पन्नालाल घोष (Pannalal Ghosh) से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्यों को एकत्रित किया गया है जिसे पढ़कर आपको प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने में मदद मिलेगी और आप इनके बारे में अपनी जानकारी बड़ा पाएंगे । Pannalal Ghosh Biography and Interesting Facts in Hindi.
स्मरणीय बिंदु:-
- पंडित पन्नालाल घोष “बांसुरी के मसीहा” या नयी बांसुरी के जन्मदाता कहा जाता है।
- पन्नालाल घोष भारत के प्रसिद्ध बाँसुरी वादक थे
पन्नालाल घोष जीवनी (Pannalal Ghosh Biography )
पूरा नाम- पन्नालाल घोष (Pannalal Ghosh)
जन्म ( Born) – 24 जुलाई 1911
मृत्यु (Died) – 20 अप्रैल 1960
जन्म स्थान- बारीसाल बंगाल
पिता – अक्षय कुमार घोष
माता – सुकुमारी घोष
पत्नी – पारूल घोष
पन्नालाल घोष (Pannalal Ghosh):-
- पन्नालाल घोष भारत के प्रसिद्ध बाँसुरी वादक थे
- पंडित पन्नालाल घोष “बांसुरी के मसीहा” नयी बांसुरी के जन्मदाता और भारतीय शास्त्रीय संगीत का युगपुरुष जिसने लोक वाद्य बाँसुरी को शास्त्रीय के रंग में ढालकर शास्त्रीय वाद्य यंत्र बना दिया
- अमल ज्योति घोष के नाम से जाने जाने वाले पंडित पन्नालाल घोष का जन्म 24 जुलाई 1911 में पूर्वी बंगाल के बारीसाल में हुआ था
- शुरू में उनका परिवार अमरनाथगंज के गांव में रहता था जो बाद में फतेहपुर आ गया
- उनका जन्म संगीत सुधी परिवार में हुआ था
- उनके पिता अक्षय कुमार घोष सितार वादक थे और उनकी माँ सुकुमारी जी गायक थीं
- प्रारंभिक जीवन हारमोनियम उस्ताद खुशी मोहम्मद ख़ान उनके पहले गुरु थे और ख्याल गायक पंडित गिरजा शंकर चक्रवर्ती एवं उस्ताद अलाउद्दीन ख़ान साहब से भी उन्होंने शिक्षा हासिल की थी
- 1940 में पन्नाबाबू ने संगीत निर्देशक अनिल विश्वास की बहन और जानी मानी पार्श्व गायिका पारुल घोष से विवाह कर लिया
- इसके पहले 1938 में पन्नालाल घोष ने यूरोप का दौरा किया और वे उन आरंभिक शास्त्रीय संगीतकारों में से एक थे जिन्होंने विदेश में कार्यक्रम पेश किया
- पन्नाबाबू शास्त्रीय बांसुरी के जन्मदाता हैं और उन्हें बांसुरी का मसीहा कहना समीचीन होगा
- इन्हें बांसुरी को लोक वाद्य से शास्त्रीय वाद्य यंत्र के रूप में स्थापित करने का श्रेय जाता हैं
- उनके अथक प्रयासों का ही परिणाम था कि 1930 में उनका पहला एलपी जारी हुआ
- आने वाली सदियां पन्ना बाबू के काम को कभी भूल नहीं सकती हैं
- उन्हीं का प्रयास है कि कृष्ण कन्हैया की बांसुरी का आज के फ्यूजन संगीत में भी अहम स्थान है
- बांसुरी को शास्त्रीय वाद्य के रूप में लोगों के दिलों में बसाने का काम पन्ना बाबू ने शुरू किया था और पंडित हरिप्रसाद चौरसिया जैसे बांसुरी वादकों ने इस वाद्य यंत्र को विदेशों में लोकप्रिय कर दिया
- पन्नालाल जी ने कई फ़िल्मों में भी बांसुरी बजाई थी, जो आज भी अद्वितीय है जिनमें मुग़ले आज़म, बसंत बहार, बसंत, दुहाई, अंजान और आंदोलन जैसी कई प्रसिद्ध फ़िल्में प्रमुख हैं जिसके संगीत के साथ पंडित पन्नालाल घोष का नाम जुड़ा रहा
- पारंपरिक भारतीय वाद्य यंत्र बांसुरी की अतुल्य विरासत अपने शिष्य और प्रशंसकों के हाथों में सौंप कर 20 अप्रैल 1960 में पन्नाबाबू हमेशा के लिए इस दुनिया से कूच कर गये
- पन्नालाल जी की बांसुरी जब आज भी सुनते हैं तो उनकी मिठास तथा विविधता का कोई जोड़ नज़र नहीं आता
- उनका बजाया हुआ राग मारवा तथा अन्य राग जब आज सुनते हैं तो अध्यात्मिक अहसास होने लगता है
पन्नालाल घोष (Pannalal Ghosh) से संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्न और उत्तर जो प्रतियोगी परीक्षाओं को ध्यान में रख कर बनाए गए हैं। यह उन विद्यार्थियों के लिए बहुत उपयोगी है जो प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे है। यह प्रश्नोत्तरी एसएससी (SSC), यूपीएससी (UPSC), रेलवे (Railway), बैंकिंग (Banking) तथा अन्य परीक्षाओं को ध्यान में रखकर बनाई गई है।
महत्वपूर्ण प्रश्न और उत्तर (FAQs):
- पन्ना लाल घोष कौन सा वाद्य यंत्र बाजाते थे? – बाँँसुरी
- बॉंंसुरी का जन्मदाता किसे कहा जाता है? – पन्ना लाल घोष
Related keyword –
Pannalal Ghosh ka janm kab hua, Pannalal Ghosh Biography in Hindi, mother’s name of Pannalal Ghosh, Pannalal Ghosh in Hindi, Pannalal Ghosh koun the, Pannalal Ghosh father name, Pannalal Ghosh mother name, Pannalal Ghosh wife name, What were the names of mother and father of S Radhakrishnan, When was Pannalal Ghosh, Where was Pannalal Ghosh, Pannalal Ghosh koun sa vaddh yantr bajate the, bansuri ka janmdata kise kaha jata hai,
Join telegram for daily update – Gk Skill