You are currently viewing Birsa Munda Biography | बिरसा मुंडा की जीवनी

Birsa Munda Biography | बिरसा मुंडा की जीवनी

प्लीज शेयर करें

Gk Skill की इस पोस्ट में बिरसा मुंडा (Birsa Munda ) से जुड़े महत्वपूर्ण एवं रोचक तथ्य जैसे उनकी व्यक्तिगत जानकारी, शिक्षा तथा करियर, उपलब्धि तथा सम्मानित पुरस्कार और भी अन्य जानकारियाँ। इस पोस्ट में दिए गए बिरसा मुंडा (Birsa Munda ) से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्यों को एकत्रित किया गया है जिसे पढ़कर आपको प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने में मदद मिलेगी और आप इनके बारे में अपनी जानकारी बड़ा पाएंगे । Birsa Munda Biography and Interesting Facts in Hindi.

बिरसा मुंडा की जीवनी (Birsa Munda Biography ):-

पूरा नाम- बिरसा मुंडा

जन्म ( Born) – 15 नवंबर 1875

मृत्यु (Died) – 9 जून 1900

जन्म स्थान- उलीहातू रांची

पिता – सुगना मुंडा

माता – करमी हातू

बिरसा मुंडा (Birsa Munda )

  • बिरसा मुंडा भारत के एक आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी और लोक नायक थे
  • अंग्रेजों के खिलाफ स्वतंत्रता संग्राम में उनकी ख्याति जग जाहिर थी
  • सिर्फ 25 साल के जीवन में उन्होंने इतने मुकाम हासिल किये कि हमारा इतिहास सदैव उनका ऋणी रहेगा
  • बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवम्बर 1875 को वर्तमान झारखंड राज्य के रांची जिले में उलिहातु गाँव में हुआ था
  • उनकी माता का नाम करमी हातू और पिता का नाम सुगना मुंडा था
  • उस समय भारत में अंग्रेजी शासन था। आदिवासियों को अपने इलाकों में किसी भी प्रकार का दखल मंजूर नहीं था
  • यही कारण रहा है कि आदिवासी इलाके हमेशा स्वतंत्र रहे हैं। अंग्रेज़ भी शुरू में वहां जा नहीं पाए थे, लेकिन तमाम षड्यंत्रों के बाद वे आख़िर घुसपैठ करने में कामयाब हो गये
  • बिरसा पढ़ाई में बहुत होशियार थे इसलिए लोगों ने उनके पिता से उनका दाखिला जर्मन स्कूल में कराने को कहा। पर इसाई स्कूल में प्रवेश लेने के लिए इसाई धर्म अपनाना जरुरी हुआ करता था तो बिरसा का नाम परिवर्तन कर बिरसा डेविड रख दिया गया
  • कुछ समय तक पढ़ाई करने के बाद उन्होंने जर्मन मिशन स्कूल छोड़ दिया | क्योंकि बिरसा के मन में बचपन से ही साहूकारों के साथ-साथ ब्रिटिश सरकार के अत्याचारों के खिलाफ विद्रोह की भावना पनप रही थी
  • इसके बाद बिरसा ने जबरन धर्म परिवर्तन के खिलाफ़ लोगों को जागृत किया तथा आदिवासियों की परम्पराओं को जीवित रखने के कई प्रयास किया
  • 1894 में बारिश न होने से छोटा नागपुर में भयंकर अकाल और महामारी फैली हुई थी। बिरसा ने पूरे समर्पण से अपने लोगों की सेवा की
  • उन्होंने लोगों को अन्धविश्वास से बाहर निकल बिमारियों का इलाज करने के प्रति जागरूक किया। सभी आदिवासियों के लिए वे ‘धरती आबा’ यानि ‘धरती पिता’ हो गये
  • अंग्रेजों ने ‘इंडियन फारेस्ट एक्ट 1882’ पारित कर आदिवासियों को जंगल के अधिकार से वंचित कर दिया
  • अंग्रेजों ने ज़मींदारी व्यवस्था लागू कर आदिवासियों के वो गाँव, जहां वे सामूहिक खेती करते थे, ज़मींदारों और दलालों में बांटकर राजस्व की नयी व्यवस्था लागू कर दी और फिर शुरू हुआ अंग्रेजों, जमींदार व महाजनों द्वारा भोले-भाले आदिवासियों का शोषण
  • इस शोषण के खिलाफ विद्रोह की चिंगारी फूंकी बिरसा ने। अपने लोगों को गुलामी से आजादी दिलाने के लिए बिरसा ने ‘उलगुलान’ (जल-जंगल-जमीन पर दावेदारी ) की अलख जगाई
  • 1895 में बिरसा ने अंग्रेजों की लागू की गयी ज़मींदारी प्रथा और राजस्व व्यवस्था के ख़िलाफ़ लड़ाई के साथ-साथ जंगल-ज़मीन की लड़ाई छेड़ी
  • यह सिर्फ कोई बग़ावत नहीं थी। बल्कि यह तो आदिवासी स्वाभिमान, स्वतन्त्रता और संस्कृति को बचाने का संग्राम था
  • बिरसा ने ‘अबुआ दिशुम अबुआ राज’ यानि ‘हमारा देश, हमारा राज’ का नारा दिया। देखते-ही-देखते सभी आदिवासी, जंगल पर दावेदारी के लिए इकट्ठे हो गये
  • अंग्रेजी सरकार के पांव उखड़ने लगे। और भ्रष्ट जमींदार व पूंजीवादी बिरसा के नाम से भी कांपते थे
  • अंग्रेजी सरकार ने बिरसा के उलगुलान को दबाने की हर संभव कोशिश की, लेकिन आदिवासियों के गुरिल्ला युद्ध के आगे उन्हें असफलता ही मिली
  • 1897 से 1900 के बीच आदिवासियों और अंग्रेजों के बीच कई लड़ाईयां हुईं। पर हर बार अंग्रेजी सरकार ने मुंह की खाई
  • जिस बिरसा को अंग्रेजों की तोप और बंदूकों की ताकत नहीं पकड़ पायी, उसके बंदी बनने का कारण अपने ही लोगों का धोखा बनी
  • जब अंग्रेजी सरकार ने बिरसा को पकड़वाने के लिए 500 रूपये की धनराशी के इनाम की घोषणा की तो किसी अपने ही व्यक्ति ने बिरसा के ठिकाने का पता अंग्रेजों तक पहुंचाया
  • जनवरी 1900 में उलिहातू के नजदीक डोमबाड़ी पहाड़ी पर बिरसा अपनी जनसभा को सम्बोधित कर रहे थे, तभी अंग्रेज सिपाहियों ने चारो तरफ से घेर लिया
  • अंग्रेजों और आदिवासियों के बीच लड़ाई हुई। औरतें और बच्चों समेत बहुत से लोग मारे गये। अन्त में बिरसा भी 3 फरवरी 1900 को चक्रधरपुर में गिरफ़्तार कर लिये गये
  • 9 जून 1900 को बिरसा ने रांची के कारागार में आखिरी सांस ली
  • 25 साल की उम्र में बिरसा मुंडा ने जिस क्रांति का आगाज किया वह आदिवासियों को हमेशा प्रेरित करती रही है
  • हिंदी साहित्य की महान लेखिका व उपन्यासकार महाश्वेता देवी ने अपने उपन्यास ‘जंगल के दावेदार’ में बिरसा मुंडा के जीवन व आदिवासी स्वाभिमान के लिए उनके संघर्ष को मार्मिक रूप से लिखा है
  • आज भी बिहार, उड़ीसा, झारखंड, छत्तीसगढ और पश्चिम बंगाल के आदिवासी इलाकों में बिरसा मुण्डा को भगवान की तरह पूजा जाता है
  • बिरसा मुण्डा की समाधि राँची में कोकर के निकट डिस्टिलरी पुल के पास स्थित है। वहीं उनका मूर्ति भी लगी है
  • उनकी स्मृति में रांची में बिरसा मुण्डा केन्द्रीय कारागार तथा बिरसा मुंडा हवाई-अड्डा भी है
  • बिरसा के जाने के इतने सालों बाद आज भी उनका संग्राम जारी है। बहुत से आदिवासी संगठन हैं, जो जंगल पर दावेदारी के लिए आज भी संघर्ष कर रहे हैं इन सभी ने मिलकर बिरसा का उलगुलान जारी रखा है। इन सभी के प्रेरणास्रोत हैं बिरसा मुंडा

बिरसा मुंडा (Birsa Munda ) से संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्न और उत्तर जो प्रतियोगी परीक्षाओं को ध्यान में रख कर बनाए गए हैं। यह उन विद्यार्थियों के लिए बहुत उपयोगी है जो प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे है। यह प्रश्नोत्तरी एसएससी (SSC), यूपीएससी (UPSC), रेलवे (Railway), बैंकिंग (Banking) तथा अन्य परीक्षाओं को ध्यान में रखकर बनाई गई है।

Related keyword – Birsa Munda ka janm kab hua,Birsa Munda Biography in Hindi, mother’s name of Birsa Munda , Birsa Munda in Hindi, Birsa Munda koun the, Birsa Munda father name, Birsa Munda mother name, Birsa Munda wife name, What were the names of mother and father of Birsa Munda , When was Birsa Munda born, Where was Birsa Munda born,Birsa Munda ki mrityu kab hui,Birsa Munda ki jivani in hindi,Birsa Munda ki kahani in hindi, Birsa Munda Biography

Join telegram for daily update – Gk Skill


प्लीज शेयर करें

Pushpendra Patel

दोस्तों आपकी तरह मै भी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करता हूँ। इस वेबसाइट के माध्यम से हम एसएससी , रेलवे , यूपीएससी, पुलिस इत्यादि परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्रों की सहायता कर रहे हैं ! हम इन्टरनेट पर ही उपलब्ध सामग्री को एक आसान रूप में आपके सामने प्रकट करने की कोशिश कर रहे हैं ! हमारा उद्देश्य उन सभी छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की सभी समाग्री उपलब्ध कराना है जो पैसे ना होने की वजह से इन पुस्तकों को खरीदने में दिक्कत होती हैं और अपने सपनों को पूरे नही कर पाते है, धन्यवाद.

Leave a Reply