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Dadasaheb Phalke Biography | दादासाहब फाल्के की जीवनी

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Gk Skill की इस पोस्ट में दादासाहब फाल्के (Dadasaheb Phalke ) से जुड़े महत्वपूर्ण एवं रोचक तथ्य जैसे उनकी व्यक्तिगत जानकारी, शिक्षा तथा करियर, उपलब्धि तथा सम्मानित पुरस्कार और भी अन्य जानकारियाँ। इस पोस्ट में दिए गए दादासाहब फाल्के (Dadasaheb Phalke ) से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्यों को एकत्रित किया गया है जिसे पढ़कर आपको प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने में मदद मिलेगी और आप इनके बारे में अपनी जानकारी बड़ा पाएंगे । Dadasaheb Phalke Biography and Interesting Facts in Hindi.

स्मरणीय बिंदु:-

  • दादा साहेब को भारतीय सिनेमा का जन्मदाता कहा जाता है
  • 1913 में दादा साहेब ने ‘राजा हरिशचंद्र’ नाम की पहली फुल लेंथ फीचर फिल्म बनाई थी
  • दादा साहब फाल्के पुरस्कार भारतीय सिनेमा का सर्वोच्च और प्रतिष्ठित पुरस्कार माना जाता है, सबसे पहले देविका रानी चौधरी को यह पुरस्कार मिला था

दादासाहब फाल्के की जीवनी (Dadasaheb Phalke Biography ):-

पूरा नाम- धुंडिराज गोविंद फाल्के

जन्म ( Born) – 30 अप्रैल 1870

मृत्यु (Died) – 16 फरवरी 1944

जन्म स्थान- त्र्यंवकेश्‍वर, नाशिक, महाराष्ट्र

दादासाहब फाल्के (Dadasaheb Phalke )

  • दादा साहेब को भारतीय सिनेमा का जन्मदाता कहा जाता है
  • 30 अप्रैल 1870 को दादा साहेब का जन्म एक मराठी परिवार में हुआ था
  • उन्होंने नासिक से पढ़ाई की
  • दादा साहेब फाल्के का पूरा नाम धुंडिराज गोविंद फाल्के था
  • उन्होंने सर जेजे स्कूल ऑफ आर्ट, मुंबई में नाटक और फोटोग्राफी की ट्रेनिंग ली
  • उन्होंने जर्मनी जाकर फिल्म बनाने की तालीम हासिल की
  • भारत वापस आकर उन्होंने फिल्में बनानी शुरू की
  • जब दादा साहेब फाल्के ने ‘द लाइफ ऑफ क्रिस्ट’ फिल्म देखी उस दौरान ही उनके मन में फिल्में बनाने के खयाल ने दस्तक दे दी थी यह एक मूक फिल्म थी
  • फिल्म को देखने के बाद दादा साहब के मन में कई तरह के विचार तैरने लगे तभी उन्होंने अपनी पत्नी से कुछ पैसे उधार लिए और पहली मूक फिल्म बनाई
  • इसके बाद उन्होंने फिल्में बनाने को लेकर एक्सपेरिमेंट करने शुरू कर दिए इस सिलसिले में उन्होंने एक शोध फिल्म बनाई और उसका नाम मटर के पौधे का विकास रखा
  • इस दौरान वो मटर के पौधे के विकसित होने का चित्र लेते रहे और उन्होंने तब तक उसका चित्र लिया जब तक वो पौधा पूर्ण रूप से विकसित नहीं हो गया और बाद में उस विकास की पूरी प्रक्रिया को फिल्म का रूप दिया
  • 1913 में दादा साहेब ने ‘राजा हरिशचंद्र’ नाम की पहली फुल लेंथ फीचर फिल्म बनाई थी
  • दादा साहेब सिर्फ एक निर्देशक ही नहीं बल्कि एक जाने माने निर्माता और स्क्रीन राइटर भी थे
  • दादा साहेब ने 19 साल के फिल्मी करियर में 95 फिल्में और 27 शॉर्ट फिल्में बनाई थीं
  • दादा साहेब ने अपने फिल्मी करियर में कई फिल्में बनाईं, लेकिन ‘द लाइफ ऑफ क्रिस्ट’ उनके करियर का टर्निंग प्वाइंट माना जाता है ऐसा कहा जाता है कि इस फिल्म को बनाने के लिए उन्होंने अपनी पत्नी से पैसे उधार लिए थे
  • ऐसा कहा जाता है कि उस दौर में दादा साहेब की पहली फिल्म यानी राजा हरिशचंद्र का बजट 15 हजार रुपये था
  • राजा हरिश्चंद्र बनाने के बाद उन्होंने साल 1917 में लंका दहन बनाई थी इस फिल्म की भी खूब प्रशंसा की गई थी
  • बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक दादा साहब फाल्के ने फिल्मों में महिलाओं को भी काम करने का मौका दिया
  • उनकी बनाई हुई फिल्म ‘भस्मासुर मोहिनी’ में दो औरतों को काम करने का मौका मिला था इन महिलाओं का नाम नाम दुर्गा और कमला
  • दादा साहेब की आखिरी मूक फिल्म ‘सेतुबंधन’ थी
  • दादा साहेब ने 16 फरवरी 1944 को इस दुनिया को अलविदा कह दिया था
  • भारतीय सिनेमा में दादा साहब के ऐतिहासिक योगदान के चलते 1969 से भारत सरकार ने उनके सम्मान में ‘दादा साहब फाल्के’ अवार्ड की शुरुआत की गई थी
  • बता दें कि दादा साहब फाल्के पुरस्कार भारतीय सिनेमा का सर्वोच्च और प्रतिष्ठित पुरस्कार माना जाता है गौरतलब है कि सबसे पहले देविका रानी चौधरी को यह पुरस्कार मिला था

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Pushpendra Patel

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