Gk Skill की इस पोस्ट में गोपीनाथ बोरदोलोई (Gopinath Bardoloi ) से जुड़े महत्वपूर्ण एवं रोचक तथ्य जैसे उनकी व्यक्तिगत जानकारी, शिक्षा तथा करियर, उपलब्धि तथा सम्मानित पुरस्कार और भी अन्य जानकारियाँ। इस पोस्ट में दिए गए गोपीनाथ बोरदोलोई (Gopinath Bardoloi ) से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्यों को एकत्रित किया गया है जिसे पढ़कर आपको प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने में मदद मिलेगी और आप इनके बारे में अपनी जानकारी बड़ा पाएंगे । Gopinath Bardoloi Biography and Interesting Facts in Hindi. Gopinath Bardoloi Biography
स्मरणीय बिंदु:-
- गोपीनाथ बोरदोलोई असम राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री थे
- इन्हें ‘आधुनिक असम का निर्माता’ भी कहा गया है
गोपीनाथ बोरदोलोई की जीवनी (Gopinath Bardoloi Biography ):-
पूरा नाम- गोपीनाथ बोरदोलोई
जन्म ( Born) – 10 जून, 1890
मृत्यु (Died) – 5 अगस्त, 1950
जन्म स्थान- नौगॉंव, असम
पिता – बुद्धेश्वर बोरदोलोई
माता – प्रानेश्वरी बोरदोलोई
गोपीनाथ बोरदोलोई (Gopinath Bardoloi )
- गोपीनाथ बोरदोलोई एक प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी और असम राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री थे
- इन्होंने स्वाधीनता आन्दोलन में सक्रिय रूप से भाग लिया था इन्हें ‘आधुनिक असम का निर्माता’ भी कहा गया है
- देश की स्वतंत्रता के बाद उन्होने तत्कालीन गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल के साथ मिलकर कार्य किया
- उनके प्रयत्नों के कारण ही असम चीन और पूर्व पाकिस्तान से बच के भारत का हिस्सा बन पाया
- उस समय के तमाम नेताओं की तरह, गोपीनाथ बोरदोलोई भी गांधीजी के ‘अहिंसा’ की नीति के पुजारी थे उन्होंने जीवनपर्यान्त असम और वहां के लोगों के लिए कार्य किया
- वह प्रगतिवादी विचारों वाले व्यक्ति थे और जीवनभर असम के आधुनिकीकरण का प्रयास करते रहे
- प्रदेश के प्रति उनकी निष्ठा को देखते हुए उनको सम्मानपूर्वक ‘लोकप्रिय’ नाम दिया गया
- लोकप्रिय गोपीनाथ बोरदोलाई का जन्म 10 जून, 1890 को असम के नौगाँव ज़िले के रोहा नामक स्थान पर हुआ था
- इनके पिता का नाम बुद्धेश्वर बोरदोलोई तथा माता का नाम प्रानेश्वरी बोरदोलोई था
- जब गोपीनाथ मात्र 12 साल के ही थे तभी इनकी माता स्वर्ग सिधार गयीं
- उन्होंने गुवाहाटी के ‘कॉटन कॉलेज’ से सन 1907 में मैट्रिक की परीक्षा और सन 1909 में इण्टरमीडिएट की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की
- इण्टरमीडिएट के बाद वो उच्च शिक्षा के लिए कोलकाता चले गए जहाँ से उन्होंने पहले बी.ए. और उसके बाद सन 1914 में एम.ए. की पढ़ाई की
- उन्होंने तीन साल तक क़ानून की पढ़ाई की और फिर गुवाहाटी वापस लौट गए
- गुवाहाटी जाने के बाद शुरुआत में उन्होंने ‘सोनाराम हाईस्कूल’ में प्रधानाध्यापक के पद पर कार्य किया और फिर सन 1917 में वकालत शुरू की
- यह ऐसा समय था जब स्वाधीनता आन्दोलन में गाँधी जी का प्रवेश हो चुका था और उन्होंने देश की आजादी के लिए ‘अहिंसा’ और ‘असहयोग’ जैसे हथियारों के प्रयोग पर बल दिया
- गाँधीजी के आह्वान पर अनेक नेता सरकारी नौकरियाँ और अपनी जमी-जमाई वकालत छोड़ ‘असहयोग आन्दोलन’ में कूद पड़े थे
- सन 1922 में ‘असम कांग्रेस’ की स्थापना हुई इसी साल गोपीनाथ एक स्वयंसेवक के रूप में कांग्रेस में शामिल हुए जो राजनीति में उनका पहला कदम साबित हुआ
- गोपीनाथ बोरदोलोई की वकालत भी जम गयी थी पर वो बिना किसी हिचक के अपनी चलती हुई वकालत को छोडकर राष्ट्र सेवा में कूद पड़े
- उनके साथ असम के कई अन्य नेताओं ने भी स्वतंत्रता आन्दोलन में भाग लिया, इनमे प्रमुख थे- नवीनचन्द्र बोरदोलोई, चन्द्रनाथ शर्मा, कुलाधार चलिहा, तरुणराम फूकन आदि
- अपनी वकालत छोडने के बाद गोपीनाथ ने लोगों में जागरूकता फ़ैलाने के उद्देश्य से दक्षिण कामरूप और गोआलपाड़ा ज़िले का पैदल दौरा किया
- उन्होंने लोगों से विदेशी माल का बहिष्कार, अंग्रेज़ों के साथ असहयोग और विदेशी वस्त्रों के स्थान पर खादी से बने वस्त्रों को पहनने का आह्वान किया
- उन्होंने लोगों से यह भी कहा कि विदेशी वस्त्रों के त्याग के साथ-साथ उन्हें सूत कातने पर भी ध्यान देना चाहिए
- ब्रिटिश सरकार गोपीनाथ बोरदोलोई के कार्यों को विद्रोह के रूप में देखने लगी जिसके परिणाम स्वरुप उन्हें और उनके साथियों को गिरफ्तार कर एक वर्ष कैद की सजा दी गई
- सजा समाप्त होने के बाद उन्होंने अपने आप को स्वाधीनता आन्दोलन के लिए समर्पित कर दिया
- जब चौरी चौरा कांड के बाद गांधीजी ने ‘असहयोग आन्दोलन’ वापस ले लिया तब गोपीनाथ बोरदोलोई ने गुवाहाटी में फिर से वकालत प्रारंभ कर दिया
- वह सन 1932 में गुवाहाटी के नगरपालिका बोर्ड के अध्यक्ष बने
- सन 1930 से 1933 के बीच उन्होंने अपने आप को राजनैतिक गतिविधियों से दूर रख विभिन्न सामाजिक कार्यों की ओर ध्यान लगाया
- इसके साथ-साथ उन्होंने असम के लिए एक पृथक हाई कोर्ट और विश्वविद्यालय की भी मांग की
- गवर्नमेंट ऑफ़ इंडिया ऐक्ट, 1935 के तहत हुए चुनाव में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उबरी पर सरकार बनाने से इनकार कर दिया जिसके पश्चात मोहम्मद सादुल्लाह ने सरकार बनायी पर इस सरकार ने सितम्बर 1938 में इस्तीफ़ा दे दिया जिसके परिणामस्वरूप गोपीनाथ के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार बनी
- द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान गाँधी जी के आह्वान पर उनकी सरकार ने इस्तीफ़ा दे दिया जिसके बाद ब्रिटिश सरकार ने उन्हें गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया पर खराब स्वास्थ्य के कारण उन्हें अवधि से पहले ही रिहा कर दिया गया
- अगस्त 1942 में ‘भारत छोड़ो’ आन्दोलन के बाद सरकार ने कांग्रेस को अवैध घोषित कर गोपीनाथ समेत लगभग सभी नेताओं को गिरफ्तार कर लिया
- इस बीच मौकापरस्त मोहम्मद सादुल्लाह ने अंग्रेजों के सहयोग से एक बार फिर सरकार बना ली और सांप्रदायिक गतिविधियों को तेज़ कर दिया
- सन 1944 में रिहा होने के बाद गोपीनाथ ने और नेताओं के साथ मिलकर सरकार की गतिविधियों का विरोध किया जिसके फलस्वरूप सादुल्ला ने उनकी बातों पर अमल करने के लिए समझौता किया
- 1946 के चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने जीत के साथ सरकार बनायी और गोपीनाथ असम के प्रधानमंत्री बने
- ब्रिटिश सरकार ने सन 1946 में भारत की आजादी के मसले पर ‘कैबिनेट कमीशन’ की स्थापना की। ब्रिटिश सरकार की बड़ी चाल यह थी कि भारत के विभिन्न भागों को अलग-अलग बाँटने के लिए उन्होंने ‘ग्रुपिंग सिस्टम’ योजना बनाई, जिसके अंतर्गत राज्यों को तीन भागों में रखा गया
- कांग्रेस के नेता ब्रिटिश सरकार की इस चाल को समझ नहीं पाए और योजना को स्वीकृति दे दी पर गोपीनाथ बोरदोलोई इसके विरोध में खड़े रहे और कहा कि असम के सम्बन्ध में जो भी निर्णय किया जाएगा अथवा उसका जो भी संविधान बनाया जाएगा, उसका अधिकार केवल असम की विधानसभा और जनता को होगा
- उनकी इसी दूरदर्शिता के कारण असम इस षड़यंत्र का शिकार होने से बच सका और भारत का अभिन्न अंग बना रहा
- भारत के स्वाधीनता आन्दोलन में योगदान के अलावा गोपीनाथ बोरदोलोई ने असम की प्रगति और विकास के लिए अनेक कार्य किये
- विभाजन के बाद पूर्वी पाकिस्तान से आये लाखों निर्वासितों के पुनर्वासन के लिए उन्होंने कड़ी मेहनत की
- उन्होंने आतंक के उस माहौल में भी राज्य में धार्मिक सौहार्द कायम रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई
- गुवाहाटी विश्वविद्यालय, असम उच्च न्यायालय, असम मेडिकल कॉलेज और असम वेटरनरी कॉलेज जैसे महत्वपूर्ण संस्थानों की स्थापना उनके प्रयासों के कारण ही हो पायी
- एक राजनेता और सामाजिक कार्यकर्ता के साथ-साथ गोपीनाथ बोरदोलोई एक प्रतिभाशाली लेखक भी थे
- उन्होंने अन्नासक्तियोग, श्रीरामचंद्र, हजरत मोहम्मद और बुद्धदेब जैसी पुस्तकों की रचना जेल में बंद रहने के दौरान की
- गोपीनाथ बोरदोलोई का निधन 5 अगस्त, 1950, गुवाहाटी, असम में हुआ था
गोपीनाथ बोरदोलोई (Gopinath Bardoloi ) से संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्न और उत्तर जो प्रतियोगी परीक्षाओं को ध्यान में रख कर बनाए गए हैं। यह उन विद्यार्थियों के लिए बहुत उपयोगी है जो प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे है। यह प्रश्नोत्तरी एसएससी (SSC), यूपीएससी (UPSC), रेलवे (Railway), बैंकिंग (Banking) तथा अन्य परीक्षाओं को ध्यान में रखकर बनाई गई है।
महत्वपूर्ण प्रश्न और उत्तर (FAQs):
- ‘आधुनिक असम का निर्माता’ किसे कहा जाता है? – गोपीनाथ बोरदोलोई
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