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Har Gobind Khorana Biography | हरगोविन्द खुराना की जीवनी

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हरगोविन्द खुराना की जीवनी (Har Gobind Khorana Biography ):-

पूरा नाम- हरगोविन्द खुराना

जन्म ( Born) – 9 जनवरी 1922

मृत्यु (Died) – 9 नवंबर 2011

जन्म स्थान- रायपुर ( वर्तमान पाकिस्तान )

पिता – गणपत राय खुराना

माता – कृष्णा देवी खुराना

हरगोविन्द खुराना (Har Gobind Khorana )

  • हरगोविंद खुराना को 1968 में चिकित्सा का नोबेल मिला था
  • पेड़ के नीचे पढ़ाई करने वाले एक छोटे से गांव के लड़के से नोबेल विजेता बनने तक हरगोविंद खुराना का सफर संघर्ष और जिजीविषा की दास्तान है
  • उनका नाम उन चुनिंदा वैज्ञानिकों में शामिल है जिन्होंने बायोटेक्नॉलॉजी की बुनियाद रखने में अहम भूमिका निभाई थी
  • हरगोविंद खुराना का जन्म 9 जनवरी, 1922 को रायपुर नाम के गांव में हुआ था जो अब पाकिस्तान के मुल्तान जिले का हिस्सा है
  • उनके पिता, गणपत राय खुराना पटवारी का काम करते थे और उनकी माँ कृष्णा देवी खुराना एक गृहणी थीं
  • एक बहन और चार भाइयों में हरगोविंद सबसे छोटे थे
  • 1943 में उन्होंने लाहौर की पंजाब यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया और 1945 में यहीं से पोस्टग्रेजुएशन
  • 1948 में उन्होंने पीएचडी पूरी की इसके बाद उन्हें भारत सरकार ने स्कॉलरशिप दी और वे आगे की पढ़ाई के लिए ब्रिटेन स्थित लिवरपूल यूनिवर्सिटी चले गए
  • 1952 में नौकरी की एक पेशकश उन्हें कनाडा की यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिटिश कोलंबिया ले गई
  • यहीं हरगोविंद खुराना ने जीव विज्ञान में वह काम शुरू किया जिसके लिए बाद में उन्हें नोबेल पुरस्कार मिला
  • यहां वे 1959 तक रहे औऱ बताया जाता है कि उन्हें अपना काम करने के लिए पूरी आजादी मिली
  • 1960 में डॉ. खुराना को कैनेडियन पब्लिक सर्विस ने उनके काम के लिए गोल्ड मैडल दिया
  • 1960 में हरगोविंद खुराना अमेरिका आ गए यहां वे विस्कॉन्सिन यूनिवर्सिटी के साथ जुड़े
  • 1966 में उन्हें अमेरिकी नागरिकता मिल गई इसके दो ही साल बाद रॉबर्ट डब्ल्यू हॉली और मार्शल डब्ल्यू नीरेनबर्ग के साथ उन्हें संयुक्त रूप से चिकित्सा का नोबेल दिया गया
  • खुराना ने अपने दो साथियों के साथ मिलकर डी.एन.ए. अणु की संरचना को स्पष्ट किया था और यह भी बताया था कि डी.एन.ए. प्रोटीन्स का संश्लेषण किस प्रकार करता है
  • खोज के दौरान उन्होंने पाया कि जीन, डी.एन.ए. और आर.एन.ए. के संयोग से बनते हैं अतः इन्हें जीवन की मूल इकाई माना जाता है
  • उनके इस शोध कार्य ने ही ‘जीन इंजीनियरिंग’ यानी कि ‘बायोटेक्नोलॉजी’ की नींव रखी और इसके लिए ही उन्हें नोबल पुरस्कार मिला
  • नोबेल पुरस्कार के बाद अमेरिका ने उन्हें नेशनल एकेडमी ऑफ़ साइंस की सदस्यता प्रदान की यह सम्मान केवल विशिष्ट अमेरिकी वैज्ञानिकों को ही दिया जाता है
  • डॉ खुराना ने अमेरिका में अध्ययन, अध्यापन और शोध कार्य जारी रखा देश-विदेश के तमान छात्रों ने उनके सानिध्य में डॉक्टरेट की उपाधि हासिल की
  • भारत सरकार ने भी डॉ. खुराना को पद्मभूषण से सम्मानित किया था और साथ मिलकर साल 2007 में खुराना प्रोग्राम की शुरुआत की
  • 9 नवंबर 2011 को इस महान वैज्ञानिक ने अमेरिका के मैसाचूसेट्स में आखिरी सांस ली
  • नोबल पुरस्कार जीतने के बाद डॉ. खुराना ने अपनी आत्मकथा में लिखा था

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Pushpendra Patel

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