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Sunderlal Bahuguna Biography | सुन्दरलाल बहुगुणा की जीवनी

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सुन्दरलाल बहुगुणा की जीवनी (Sunderlal Bahuguna Biography ):-

पूरा नाम- सुन्दरलाल बहुगुणा

जन्म ( Born) – 9 जनवरी सन 1927

मृत्यु (Died) – 21 मई 2021 

जन्म स्थान- मरोड़ा, उत्तराखंड

पिता – अम्बादत्त बहुगुणा

माता – पूर्णा देवी

सुन्दरलाल बहुगुणा (Sunderlal Bahuguna )

  • चिपको आन्दोलन के प्रणेता सुन्दरलाल बहुगुणा का जन्म 9 जनवरी सन 1927 को देवों की भूमि उत्तराखंड के ‘मरोडा नामक स्थान पर हुआ
  • प्राथमिक शिक्षा के बाद वे लाहौर चले गए और वहीं से बी.ए. किए
  • सन 1949 में मीराबेन व ठक्कर बाप्पा के सम्पर्क में आने के बाद ये दलित वर्ग के विद्यार्थियों के उत्थान के लिए प्रयासरत हो गए तथा उनके लिए टिहरी में ठक्कर बाप्पा होस्टल की स्थापना भी किए
  • दलितों को मंदिर प्रवेश का अधिकार दिलाने के लिए उन्होंने आन्दोलन छेड़ दिया था
  • अपनी पत्नी श्रीमती विमला नौटियाल के सहयोग से इन्होंने सिलयारा में ही ‘पर्वतीय नवजीवन मण्डल’ की स्थापना भी की
  • सन 1971 में शराब की दुकानों को खोलने से रोकने के लिए सुन्दरलाल बहुगुणा ने 16 दिन तक अनशन किया
  • चिपको आन्दोलन के कारण वे विश्वभर में वृक्षमित्र के नाम से प्रसिद्ध हो गए
  • बहुगुणा के ‘चिपको आन्दोलन’ का घोषवाक्य है-
    क्या हैं जंगल के उपकार, मिट्टी, पानी और बयार।
    मिट्टी, पानी और बयार, जिन्दा रहने के आधार।
  • सुन्दरलाल बहुगुणा के अनुसार पेड़ों को काटने की अपेक्षा उन्हें लगाना अति महत्वपूर्ण है
  • पर्यावरण को स्थाई सम्पति माननेवाला यह महापुरुष आज ‘पर्यावरण गाँधी’ बन गया है
  • भूदान आंदोलन से लेकर दलित उत्थान, शराब विरोधी आंदोलन में भी उनकी सक्रिय भूमिका रही
  • टिहरी बांध के विरोध उनके लंबे संघर्ष के फलस्वरूप केंद्र सरकार ने पुनर्वास नीति में तमाम सुधार किए
  • सुंदरलाल बहुगुणा ने 1981 से 1983 के बीच पर्यावरण को बचाने का संदेश लेकर, चंबा के लंगेरा गांव से हिमालयी क्षेत्र में करीब 5000 किलोमीटर की पदयात्रा की यह यात्रा 1983 में विश्वस्तर पर सुर्खियों में रही
  • उम्र के आखिरी पड़ाव में पहुंच चुके बहुगुणा शारीरिक रूप से भी काफी कमजोर हो चुके हैं, उनकी नजर भी धुंधली पड़ चुकी है और अब वह काफी कम और धीमी आवाज में बात करते हैं। हालांकि, जैसे ही पर्यावरण का जिक्र आता है, उनकी आंखों में पुरानी चमक लौट आती है और जुबां भी तेज हो जाती है
  • बहुगुणा के कार्यों से प्रभावित होकर अमेरिका की फ्रेंड ऑफ नेचर नामक संस्था ने 1980 में इनको पुरस्कृत भी किया इसके अलावा उन्हें कई सारे पुरस्कारों से सम्मानित किया गया
  • अंतरराष्ट्रीय मान्यता के रूप में 1981 में स्टाकहोम का वैकल्पिक नोबेल पुरस्कार मिला
  • सुन्दरलाल बहुगुणा को सन 1981 में पद्मश्री पुरस्कार दिया गया जिसे उन्होंने यह कह कर स्वीकार नहीं किया कि जब तक पेड़ों की कटाई जारी है, मैं अपने को इस सम्मान के योग्य नहीं समझता हूँ
    1985 में जमनालाल बजाज पुरस्कार
    1986 में जमनालाल बजाज पुरस्कार
    1987 में राइट लाइवलीहुड पुरस्कार
    1987 में शेर-ए-कश्मीर पुरस्कार
    1987 में सरस्वती सम्मान
    1989 सामाजिक विज्ञान के डॉक्टर की मानद उपाधि आइआइटी रुड़की द्वारा
    1998 में पहल सम्मान
    1999 में गांधी सेवा सम्मान
    2000 में सांसदों के फोरम द्वारा सत्यपाल मित्तल एवार्ड
    2001 में पद्म विभूषण

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Pushpendra Patel

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