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Suryakant Tripathi “Nirala” Biography | सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’

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Gk Skill की इस पोस्ट में सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ (Suryakant Tripathi ) से जुड़े महत्वपूर्ण एवं रोचक तथ्य जैसे उनकी व्यक्तिगत जानकारी, शिक्षा तथा करियर, उपलब्धि तथा सम्मानित पुरस्कार और भी अन्य जानकारियाँ। इस पोस्ट में दिए गए सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ (Suryakant Tripathi ) से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्यों को एकत्रित किया गया है जिसे पढ़कर आपको प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने में मदद मिलेगी और आप इनके बारे में अपनी जानकारी बड़ा पाएंगे । Suryakant Tripathi Nirala Biography and Interesting Facts in Hindi.

सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ की जीवनी (Suryakant Tripathi Biography ):-

पूरा नाम- सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’

जन्म ( Born) – 21 फ़रवरी 1899

मृत्यु (Died) – 15 अक्टूबर 1961

जन्म स्थान- मेदिनीपुर, बंगाल

पिता – पंडित रामसहाय तिवारी

माता – रुक्मिणी

सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ (Suryakant Tripathi )

  • सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ हिन्दी कविता के छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक माने जाते हैं
  • वे जयशंकर प्रसाद, सुमित्रानंदन पंत और महादेवी वर्मा के साथ हिन्दी साहित्य में छायावाद के प्रमुख स्तंभ माने जाते हैं
  • उन्होंने कई कहानियाँ, उपन्यास और निबंध भी लिखे हैं किन्तु उनकी ख्याति विशेषरुप से कविता के कारण ही है
  • सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ का जन्म बंगाल की महिषादल रियासत (जिला मेदिनीपुर) में 21 फ़रवरी, सन् 1899 में हुआ था
  • वसंत पंचमी पर उनका जन्मदिन मनाने की परंपरा 1930 में प्रारंभ हुई
  • उनका जन्म मंगलवार को हुआ था। जन्म-कुण्डली बनाने वाले पंडित के कहने से उनका नाम सुर्जकुमार रखा गया
  • उनके पिता पंडित रामसहाय तिवारी उन्नाव (बैसवाड़ा) के रहने वाले थे और महिषादल में सिपाही की नौकरी करते थे
  • वे मूल रूप से उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के गढ़ाकोला नामक गाँव के निवासी थे
  • निराला की शिक्षा हाई स्कूल तक हुई। बाद में हिन्दी संस्कृत और बाङ्ला का स्वतंत्र अध्ययन किया
  • पिता की छोटी-सी नौकरी की असुविधाओं और मान-अपमान का परिचय निराला को आरम्भ में ही प्राप्त हुआ
  • उन्होंने दलित-शोषित किसान के साथ हमदर्दी का संस्कार अपने अबोध मन से ही अर्जित किया
  • तीन वर्ष की अवस्था में माता का और बीस वर्ष का होते-होते पिता का देहांत हो गया। अपने बच्चों के अलावा संयुक्त परिवार का भी बोझ निराला पर पड़ा
  • पहले महायुद्ध के बाद जो महामारी फैली उसमें न सिर्फ पत्नी मनोहरा देवी का, बल्कि चाचा, भाई और भाभी का भी देहांत हो गया
  • शेष कुनबे का बोझ उठाने में महिषादल की नौकरी अपर्याप्त थी। इसके बाद का उनका सारा जीवन आर्थिक-संघर्ष में बीता
  • निराला के जीवन की सबसे विशेष बात यह है कि कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी उन्होंने सिद्धांत त्यागकर समझौते का रास्ता नहीं अपनाया, संघर्ष का साहस नहीं गंवाया
  • जीवन का उत्तरार्द्ध इलाहाबाद में बीता। वहीं दारागंज मुहल्ले में स्थित रायसाहब की विशाल कोठी के ठीक पीछे बने एक कमरे में 15 अक्टूबर 1961 को उन्होंने अपनी इहलीला समाप्त की
  • निराला ने 1920 ई॰ के आसपास से लेखन कार्य आरंभ किया उनकी पहली रचना ‘जन्मभूमि’ पर लिखा गया एक गीत था
  • लंबे समय तक निराला की प्रथम रचना के रूप में प्रसिद्ध ‘जूही की कली’ शीर्षक कविता, जिसका रचनाकाल निराला ने स्वयं 1916 ई॰ बतलाया था, वस्तुतः 1921 ई॰ के आसपास लिखी गयी थी तथा 1922 ई॰ में पहली बार प्रकाशित हुई थी
  • कविता के अतिरिक्त कथासाहित्य तथा गद्य की अन्य विधाओं में भी निराला ने प्रभूत मात्रा में लिखा है
    ● प्रकाशित कृतियाँ
  • काव्यसंग्रह

अनामिका (1923)
परिमल (1930)
गीतिका (1936)
अनामिका (द्वितीय) (1938) (इसी संग्रह में सरोज स्मृति और राम की शक्तिपूजा जैसी प्रसिद्ध कविताओं का संकलन है।
तुलसीदास (1939)
कुकुरमुत्ता (1942)
अणिमा (1943)
बेला (1946)
नये पत्ते (1946)
अर्चना (1950)
आराधना (1953)
गीत कुंज (1954)
सांध्य काकली
अपरा (संचयन)

  • उपन्यास
    अप्सरा (1931)
    अलका (1933)
    प्रभावती (1936)
    निरुपमा (1936)
    कुल्ली भाट (1938-39)
    बिल्लेसुर बकरिहा (1942)
    चोटी की पकड़ (1946)
    काले कारनामे (1950) {अपूर्ण}
    चमेली (अपूर्ण)
    इन्दुलेखा (अपूर्ण)
  • कहानी संग्रह
    लिली (1934)
    सखी (1935)
    सुकुल की बीवी (1941)
    चतुरी चमार (1945) [‘सखी’ संग्रह की कहानियों का ही इस नये नाम से पुनर्प्रकाशन।]
    देवी (1948) [यह संग्रह वस्तुतः पूर्व प्रकाशित संग्रहों से संचयन है। इसमें एकमात्र नयी कहानी ‘जान की !’ संकलित है।]
  • निबन्ध-आलोचना
    रवीन्द्र कविता कानन (1929)
    प्रबंध पद्म (1934)
    प्रबंध प्रतिमा (1940)
    चाबुक (1942)
    चयन (1957)
    संग्रह (1963)
  • पुराण कथा
    महाभारत (1939)
    रामायण की अन्तर्कथाएँ (1956)
  • बालोपयोगी साहित्य
    भक्त ध्रुव (1926)
    भक्त प्रहलाद (1926)
    भीष्म (1926)
    महाराणा प्रताप (1927)
    सीखभरी कहानियाँ (ईसप की नीतिकथाएँ) [1969]
  • अनुवाद
    रामचरितमानस (विनय-भाग)-1948 (खड़ीबोली हिन्दी में पद्यानुवाद)
    आनंद मठ (बाङ्ला से गद्यानुवाद)
    विष वृक्ष
    कृष्णकांत का वसीयतनामा
    कपालकुंडला
    दुर्गेश नन्दिनी
    राज सिंह
    राजरानी
    देवी चौधरानी
    युगलांगुलीय
    चन्द्रशेखर
    रजनी
    श्रीरामकृष्णवचनामृत (तीन खण्डों में)
    परिव्राजक
    भारत में विवेकानंद
    राजयोग (अंशानुवाद)
  • रचना-समग्र
    निराला रचनावली (आठ खण्डों में) – प्रथम संस्करण-1983 (सं॰ नन्दकिशोर नवल; राजकमल प्रकाशन, नयी दिल्ली से प्रकाशित।)

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Pushpendra Patel

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