Damoh District Fact in Hindi: दमोह सागर संभाग का जिला है जिसमें 7 तहसीलें हैं दमोह इतिहास काफी प्राचीन है यहां पर कई पाषाण हथियारों के साक्ष्य मिले है आइये जानते है दमोह के बारे में उपयोगी जानकारी
दमोह जिला मध्य प्रदेश – Damoh District Fact in Hindi
- दमोह को पीतल नगरी के नाम से भी जाना जाता है। क्योंकि यहां पर पीतल के सामान का व्यापक पैमाने पर निर्माण होता है
- मध्यप्रदेश में सबसे अधिक बल श्रमिको की संख्या दमोह में ही है।
- कुण्डलपुर – जैन तीर्थ स्थल
- समाचार पत्र – दमोह दीपक, कर्त्तव्य
- बतीगढ़ का किला पर्शियन वास्तुकला का सर्वोत्तम उदाहरण है।
- औधोगिक केंद्र – अमानपुर
- निदानकुण्ड जलप्रपात – भैंसा,दमोंह
- रानी दुर्गावती अभ्यारण – दमोह
- यहॉं डायमंड सीमेंट कारखाना स्थापित किया गया है।
- बांदकपुर – हिन्दू तीर्थ स्थल
- पर्यटन और धार्मिक स्थल – जटाशंकर मंदिर , नोलेश्वर मंदिर , सिंगोररढ़, निदान कुंड, नजारा, सदभावना शिखार आदि
- सिंगौरगढ़ – यहां गोंड नरेश दलपतशाह और रानी दुर्गावती ने निवास किया था । यहां गुलाबों से युक्त झील है
- क्षेत्रफल – 7306 वर्ग किलोमीटर, साक्षरता दर – 69.7%, लिंगानुपात- 910
- दमोह का इतिहास बहुत प्राचीन हैं। सिंग्रामपुर में मिले पौराणिक काल के पाषाण हथियार इस बात का साक्ष्य है कि यह स्थान करोड़ो वर्ष पहले से मानव सभ्यता का पालना रहा है। 5वीं शताब्दी में यह पाटिलीपुत्र के भव्य एवं शक्तिशाली गुप्त सामाज्य का हिस्सा था। इसका सबूत जिले के विभिन्न स्थानो पर पाए जाने वाले शिलालेख, सिक्के, (दुर्गा मंदिर) व अन्य वस्तुए है जिनका संबंध समुद्रगुप्त, चन्दगुप्त, और स्कंन्दगुप्त के शासन काल से था। 8वीं शाताब्दी से मध्य दमोह जिले का भाग चेदी सामाज्य के अंतर्गत आता था। जिसमें कलचुरी राजाओं का शासन था और उनकी राजधानी त्रिपुरी थी।
- 14वीं शाताब्दी में दमोह में मुगलो का अधिपत्य शासन रहा और ग्राम सलैया तथा बटियागढ़ में पाए जाने वाले पाषाण शिलालेखो में खिलजी और तुगलक वंश के शासन का उल्लेख है। बाद में मालवा के सुल्तान ने यहां शासन किया । 15 वीं शताब्दी के गौड़ वंश के शासक संग्राम सिंह ने इसे अपने शक्तिशाली एंव बहुआयामी साम्राज्य में शामिल किया जिसमें 52 किले थे।
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